बारिश के अभाव में सूख रहे हैं खेतों में लगी धान की फसल,खेतों में पड़ने लगी है दरारें

बारिश के अभाव में सूख रहे हैं खेतों में लगी धान की फसल,खेतों में पड़ने लगी है दरारें

सहरसा,27 जुलाई ।कोसी क्षेत्र में बारिश के अभाव में किसानों द्वारा खेत में लगाए गए धान का पौधा सूखने के कगार पर पहुंच गया है। खेतों में बड़े-बड़े दरारे पड़ने लगी है। जिससे किसान पूरी तरह मायूस हो गये हैं।बारिश के अभाव में किसान किसी तरह पंपसेट या मोटर से पटवन कर अपने खेतों में धान का पौधा तो लगा दिया है लेकिन अब उसे बचाना मुश्किल हो रहा है। तपती धूप और भीषण गर्मी में अब उन खेतों को पंपसेट या मोटर से पटवन करना उन्हें संभव नहीं दिख रहा है।

किसान आसमान की ओर टकटकी निगाहों से इंद्रदेव भगवान से मन्नत मांगने को मजबूर हैं।90 प्रतिशत किसान पंपसेट और मोटर से पटवन कर धान की रोपनी तो पूरा कर लिए हैं। लेकिन सिंचाई के अभाव में रोपनी के बाद भी किसान के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ-साफ दिखाई पड़ रही है।किसान पंपसेट से 2 सौ से 2 सौ 50 रूपए प्रति घंटे की दर से खर्च कर अपने खेतों को पटवन कराने को मजबूर है।जहां सर्फ मोटर की व्यवस्था है। वहां उन्हें 40 से 50 रूपए प्रति घंटा कि दर से पानी उपलब्ध हो पा रहा है । सस्ते दामों में पटवन के लिए सरकार द्वारा हर गांव में सिंचाई के लिए लगाया गया स्पेशल ट्रांसफार्मर बेकार साबित हो रहा है। अधिकांश जगहों पर यह सिंचाई ट्रांसफार्मर या तो खराब पड़ा है या उनमें बिजली का कनेक्शन ही नहीं दिया गया है। जिस कारण चोरों द्वारा सामान की चोरी भी कर ली गई है।

मजबूरी में किसान अब घरेलू बिजली से ही मोटर को जोड़कर किसान किसी तरह अपने खेत की पटवन कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को प्रकृति के साथ-साथ सरकार के सिस्टम की भी मार झेलनी पड़ रही है।अन्नदाता किसानों के लिए सरकार तरह तरह की योजना संचालित कर रही है। हर खेत को पानी और खाद उपलब्ध कराने की बात कह रही है। लेकिन धरातल पर इस तरह की कोई सुविधा किसानों को नहीं मिल पा रही है। वे प्रकृति के साथ-साथ सरकार के सिस्टम से भी परेशान हो चुके हैं। ऐसे में किसानों ने कहा की सरकार को किसानों के हित के लिए काम करना चाहिए।

बिजली विभाग यदि सही तरीके से सिंचाई ट्रांसफार्मर की मरम्मत कर देती है तो इस सुखाड़ की स्थिति में किसानों को काफी हद तक सहुलियत मिलेगी और वे अपने फसल को सुखाड़ से बचाने में सफल हो सकेगें।प्रकृति के साथ-साथ सरकारों द्वारा किसानों के साथ सौतेलेपन व्यवहार के कारण अब अधिकांश किसान खेती करना छोड़ कर जीवन यापन के लिए दूसरे काम की तलाश करने में जुट गये हैं। उनका कहना है कि महंगाई की मार इतनी अधिक है कि पटवन से लेकर ट्रेक्टर से खेत की जुताई खाद और बीज के आसमान छूते दामों के सामने हमलोग टिक नहीं पाते हैं। सरकार द्वारा भी कोई खास सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। जिस कारण हमलोग अब खेती छोड़ने को विवश हैं।