जलवायु दे रहा दगा,तो करे ब्राह्मी औषधी की खेती

जलवायु दे रहा दगा,तो करे ब्राह्मी औषधी की खेती

पूर्वी चंपारण,13 जुलाई ।जिस प्रकार जलवायु परिवर्त्तन की मार से परंपरागत खेती पिछड़कर किसानो को नुकसान पहुंचा रहा है,वैसे में जलवायु अनुकूल औषधीय खेती किसान के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।जिसमे ब्राह्मी नामक औषधीय फसल का अहम स्थान है।इसकी पत्तियो से तैयार दवाई कैंसर,अनीमिया दमा,मूत्र वर्धक, कब्ज और मिरगी आदि रोगो के इलाज के साथ ही सांप के काटने पर प्रयोग हो रहा है।

ब्राह्मी में रक्तशुद्धी व दिमाग को तेज तर यादाश्त बढ़ाने के गुण भी मौजूद है,जिससे इसकी मांग महज भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में बढी है। पूर्वी चंपारण के परसौनी कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि इसकी खेती से किसान कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकते है,बताते है,कि इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय बारिश का मौसम होता है।प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल ब्राह्मी की सूखी पत्तियां हासिल होती हैं। जिसकी बाजार में कीमत लाखो में है।सबसे बड़ी बात यह है,कि ब्राह्मी की फसल को एक बार लगाकर तीन से चार बार कटाई होता है।जिस कारण लागत से तीन से चार गुना अधिक कमाई होती है।

इसकी खेती के लिए गर्म और नमी वाले जलवायु अनुकूल है।इसके पत्ते बीज,जड़ें,गांठे सबकी मांग दवा बनाने में होती है।आदि का प्रयोग अलग अलग तरह की दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। पर भी इलाज के तौर पर भी किया जाता है। वार्षिक जड़ी बूटी ब्राह्मी का कद 2-3 फीट होता है और इसकी जड़ें गांठों से फैली होती हैं। इसके फूलों का रंग सफेद या पीला-नीला होता है और फल छोटे और अंडाकार होते हैं। इसके बीजों का आकार 0.2-0.3 मि.ली. और रंग गहरा-भूरा होता है।

-कैसे मिट्टी मे करे खेती

इसे हर प्रकार के मिट्टी में उगाया जा सकता है।यह जल जमाव को भी सहन कर सकती है।इसकी पैदावार सैलाबी दलदली मिट्टी में अच्छी होती है।ऐसे में नहरों और अन्य जल स्त्रोतों के पास उगाया जा सकता है।

-इसकी किस्में

प्रज्ञा शक्ति और सुबोधक नामक इसकी दो किस्म है जिसे सीआईएमएपी, लखनऊ की तरफ से तैयार की गई है। इस किस्म में 1.8-2 प्रतिशत बैकोसाइड होता है।

-कैसे करे भूमी की तैयारी

ब्राह्मी की खेती के लिए, भुरभुरी और समतल मिट्टी की जरूरत होती है। मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा बनाने के लिए, खेत को जोतें और फिर हैरों का प्रयोग करें।जोताई के पूर्व कम से कम 10 क्विंटल सड़ी गोबर खाद डालकर मिट्टी में मिला दें।इसके इलावा नाइट्रोजन 40 किलो (87 किलो यूरिया), फासफोरस 24 किलो (150 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 24 किलो (40 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें।

-कब और कैसे करे बुवाई

इसकी बुवाई मध्य जून से जुलाई माह तक कर सकते है।नर्सरी में तैयार पौधों का रोपण् 20x20 से.मी. की दूरी पर करें।पौधे रोपने के तुरंत बाद सिंचाई जरूर करें।

सिंचाई

वर्षा ऋतु की फसल होने के कारण बरसात खत्म होते ही इसे पानी की आवश्यकता होती है। सर्दियों में 20 और गर्मियों में 15 दिनों पर सिंचाई करें।

- कैसे करे पौधे की देखभाल

रोपाई के 15 दिन बाद गुड़ाई करे फिर खरपतवार को देखते हुए गुड़ाई करे।वही कीट के लिए रक्षा के लिए नुवोक्रोन 0.2 % या नीम से बने कीटनाशकों की स्प्रे करें।

-कब करे फसल की कटाई

पौधा रोपने के 5-6 महीने बाद पौधा उपज देनी शुरू कर देता है। इसकी कटाई अक्तूबर-नवंबर महीने में की जाती है। कटाई के लिए पौधे का जड़ से ऊपर वाला हिस्सा जो कि 4-5 सैं.मी. होता है, को काटा जाता है। एक वर्ष में 2-3 कटाई की जा सकती है।