मुजफ्फरपुर,23 मई । जिले में स्मार्ट मीटर का मामला अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली एवं बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना के समक्ष पहुंच चुका है।
जिले के मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एसके झा के द्वारा दो अलग-अलग सेट में याचिका दाखिल किया गया है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट एवं छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न निर्णयों एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 21 का हवाला देते हुए मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल किया है।
उन्होंने बताया कि मानवाधिकार अधिनियम, 1993 के संरक्षण की धारा 2(1)(d) मानव अधिकारों को जीवन, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा से संबंधित अधिकार, जो की संविधान द्वारा गारंटीकृत या अंतर्राष्ट्रीय वाचाओ में सन्निहित (एंबडीड) है, और भारत में अदालतों द्वारा लागू करने योग्य है के रूप में परिभाषित करती है।साथ ही बिजली तक पहुंच होने को मानवाधिकार माना जाना चाहिए और बिजली क़ानून के तहत इनकी जरूरतें संतोषप्रद स्थिति तक पूरी की जानी चाहिए। अगर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती है तो इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। साथ - ही - साथ यदि राज्य कमज़ोर लोगों और समूहों में हस्तक्षेप करने एवं उनकी रक्षा करने के लिये कुछ नहीं करता है, तो यह प्रतिक्रिया उल्लंघन मानी जाएगी।
अधिवक्ता झा ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने से आम लोगों को जो परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उससे निजात दिलाने हेतु ठोस एवं सकारात्मक व्यवस्था करने की नितांत जरुरत है। साथ- ही - साथ आम जनमानस आर्थिक रूप से शोषण का शिकार ना हो और उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना करना न पड़े, इस दिशा में सम्बंधित विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है। उन्होंने मामले के सम्बन्ध में मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप करने की माँग किया है तथा उच्चस्तरीय जांच करते हुए व्यवस्था को सुदृढ़ करने की भी मांग किया है।