बेगूसराय में चल रहा है 6228 एड्स संक्रमितों का इलाज, पांच प्रखंड है रेड जोन

बेगूसराय, 01 दिसम्बर । विश्व एड्स दिवस पर आज कई जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्य कार्यक्रम जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में आयोजित किया गया। जहां कि जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. गोपाल मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में चिकित्सकों एवं कर्मियों ने एचआईवी एड्स के संबंध में लोगों को जागरूक करने पर चर्चा की।

मौके पर चिकित्सकों ने कहा कि देश में सबसे पहला एड्स मरीज 1986 में डिटेक्ट किया गया और आज देशभर में 40 लाख से अधिक रोगी हैं। बिहार में सबसे पहले नवादा में मामला 1991 में डिटेक्ट हुआ था। आज हालात यह है कि सिर्फ बेगूसराय में 6228 संक्रमितों का इलाज चल रहा है। यह काफी चिंताजनक स्थिति है, हम सबको एड्स के संबंध में जागरूकता के लिए काम करना होगा।

बताया गया कि बेगूसराय में एड्स के इतने मरीजों की संख्या बहुत ही खराब हालत का संकेत है। स्थिति यह है कि जिले की सभी गांव में एड्स के रोगी हैं। जिसमें बेगूसराय सदर प्रखंड, बलिया, साहेबपुर कमाल, बरौनी एवं तेघरा प्रखंड रेड जोन में है। इस पांचों रेड जोन में लगातार कैंप किए जा रहे हैं। बीते दिनों संपन्न सिमरिया कल्पवास मेला में भी 32 सौ लोगों का चेकअप किया गया। सदर अस्पताल में ना सिर्फ एड्स की जांच होती है, बल्कि दवा भी दिया जाता है।

पहले विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रवासी एड्स के वाहक होते थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। शहर के कई नामचीन लोग रात के अंधेरे में छुपकर सदर अस्पताल दवा लेने आ रहे हैं, अपना इलाज करवा रहे हैं। एड्स कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है, बल्कि परिवार और समाज में इस मुद्दे पर खुलकर बात करनी होगी। तभी एचआईवी एड्स से बचाव हो सकता है। कंडोम सहित सुरक्षा के सभी उपाय अपनाने होंगे।

कुछ पति-पत्नी दोनों एड्स से संक्रमित होने के बाद भी खुलकर सेक्स कर रहे हैं। उनके पैदा हो रहे बच्चे प्रभावित नहीं हो रहे हैं। लेकिन यह स्थिति दुखद है, उन्हें सुरक्षा का उपाय अपनाना चाहिए। यह बीमारी पहले लाइलाज था, लेकिन अब मेडिकल साइंस इस पर काफी रिसर्च कर रहा है। संभव है कि जल्द ही वैक्सीन भी बनकर आ जाए। लेकिन जानकारी ही बचाव है तथा यह छुआछूत से नहीं फैलता है। इसके लिए मरीज के साथ भेदभाव नहीं हो।

सभी लोगों को जागरूक किया जाए, इसके लिए पहल करनी होगी। आज से आठ-दस साल पहले एड्स के नाम से लोग डरते थे। लेकिन यह डर घट रहा है, सरकारी स्तर पर सभी जगह पर जांच हो रहा है, इलाज हो रहा है। अब अन्य गंभीर बीमारियों की तरह इसका इलाज भी लगातार जारी रखकर आजीवन ठीक रहा जा सकता है। जागरूकता के कारण पॉजिटिविटी घट रही है, लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है।

इसलिए सभी चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मी इसकी खुलकर चर्चा करें तथा आम लोगों को जागरूक करें। तभी विश्व एड्स दिवस की सार्थकता सफल हो सकेगी। कार्यशाला में डॉ. अखिलेश कुमार, सदर अस्पताल उपाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, आईएमए के सचिव डॉ. रंजन चौधरी, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. पुरुषोत्तम कुमार, डॉ. सुभाष रंजन एवं अस्पताल प्रबंधक पंकज कुमार सहित उपस्थित थे। इस दौरान जागरूकता के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।