चीन से लौटकर नेपाल के प्रधानमंत्री ने बीआरआई का जिक्र करना तक जरूरी नहीं समझा

चीन से लौटकर नेपाल के प्रधानमंत्री ने बीआरआई का जिक्र करना तक जरूरी नहीं समझा

काठमांडू, 30 सितम्बर । नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड अपने एक हफ्ते के औपचारिक चीन दौरे से लौट आए हैं। उन्होंने काठमांडू के त्रिभुवन अन्तरराष्ट्रीय विमान स्थल पर पत्रकारों को चीन भ्रमण की उपलब्धि के बारे बताया लेकिन बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) पर वो खामोश रहे। चीन भ्रमण की उपलब्धि बताने के लिए 40 बिन्दुओं के अपने लिखित वक्तव्य में बीआरआई का जिक्र तक नहीं करना अपने आप में कई कूटनीतिक मायने रखता है।

नेपाल और चीन के बीच जारी संयुक्त वक्तव्य के 13वें नंबर पर बीआरआई के कार्यान्वयन समझौता पर आपसी सहमति के बाद यथाशीघ्र समझौता करने की बात का उल्लेख किया गया था। आज चीन भ्रमण की उपलब्धि के बारे में बखान करते समय एक बार भी बीआरआई का जिक्र तक नहीं किया। पत्रकारों की तरफ से बार बार इस पर सवाल पूछे जाने के बावजूद प्रधानमंत्री कुछ भी कहने से बचते रहे।

प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने चीन के साथ विद्युत प्रसारण लाइन पर हुई बातचीत को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ अन्तरदेशीय विद्युत प्रसारण प्रसारण लाइन और चीन की सीमा से सटे नेपाल के दुर्गम क्षेत्र में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली पहुंचाने में चीन की तरफ से सहयोग पर बातचीत होना चीन दौरे की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि केरूंग-चिलिमे-रसुवागढी प्रसारण लाइन का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने पर सहमति बनी है।

तिब्बत भ्रमण को लेकर प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने कहा कि नेवाल की सीमा तिब्बत से जुड़ी हुई है और नेपाल का व्यापार तिब्बत से ही होने के कारण तिब्बत भ्रमण करना भी उपलब्धि है। हालांकि कैलाश मानसरोवर यात्रा को महज परम्परा का निर्वहन करने की प्रतिक्रिया दी है। पत्रकारों ने पूछा कि उज्जैन के महाकालेश्वर और तिब्बत के कैलाश मानसरोवर दर्शन क्या कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री के धार्मिक अवतार के रूप में देखा जाना चाहिए? इस पर प्रचण्ड ने कहा कि पत्रकार इसको किस नजर से देखते हैं, यह उनका काम है। प्रधानमंत्री के रूप में मेरे लिए यह एक परम्परा का निर्वहन मात्र है।