इजरायल के फाइटर जेट्स ने ईरान में तबाही मचाई है। इजरायल ने शुक्रवार को ईरान में कई हमले किए, जिनमें उसके परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने पुष्टि की है कि उसके फाइटर जेट्स ने ईरान की न्यूक्लियर साइट को टारगेट किया था। वहीं ईरान के सरकारी मीडिया की मानें तो इन हमलों में ईरान की सेना की शक्तिशाली शाखा रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हौसेन सलामी और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
ईरानी मीडिया की खबरों की मानें तो शुरुआती हवाई हमलों के कुछ घंटे बाद, नातांज परमाणु केंद्र पर धमाके की अवाज सुनी गई। ईरान का ये परमाणु ठिकाना राजधानी तेहरान से दक्षिण में 225 किलोमीटर दूर स्थित है।
वहीं ईरान पर हमले के बाद आईडीएफ ने बताया, इजरायल एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों ने सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर रातों-रात ईरान के नतांज क्षेत्र में स्थित यूरेनियम संवर्धन साइट पर हमला किया। यह ईरान की सबसे बड़ी यूरेनियम संवर्धन साइट है, जो सालों से परमाणु हथियार बनाने के उद्देश्य से संचालित होती रही है और इसमें सैन्य-स्तर के यूरेनियम संवर्धन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा मौजूद है।
आईडीएफ ने पुष्टि की कि हमले के तहत न्यूक्लियर साइट के भूमिगत हिस्से को नुकसान पहुंचाया गया है। इस क्षेत्र में एक संवर्धन हॉल है, जिसमें सेंट्रीफ्यूज मशीनें, इलेक्ट्रिकल रूम और अन्य सहायक ढांचे मौजूद हैं। इसके अलावा साइट के निरंतर संचालन को सक्षम करने वाले महत्वपूर्ण ढांचे और ईरान के परमाणु हथियार हासिल करने के प्रयासों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
इजरायल ने साफ शब्दों में कहा है कि हम ईरानी शासन को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए आगे भी कार्रवाई करते रहेंगे। इजरायल ने हमले में ईरान के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के मारे जाने का भी दावा किया है।
अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर आईडीएफ ने लिखा, हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, आईआरजीसी के कमांडर और ईरान के आपातकालीन कमांड के कमांडर इजरायली हमलों में मारे गए।
इसे 1980 के दशक में इराक के साथ युद्ध के बाद ईरान पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। हालांकि ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कुछ ही घंटों में इजरायल पर 100 से ज्यादा ड्रोन दागे। इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने इसकी पुष्टि की।
इजराइल द्वारा ईरान के ठिकानों पर किये गए हमले के बाद खाड़ी देश की ओर से जवाबी कार्रवाई किये जाने की आशंका के मद्देनजर अमेरिका अपने युद्धपोतों सहित सैन्य संसाधनों को पश्चिम एशिया की ओर स्थानांतरित कर रहा है। अमेरिका के दो अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
नौसेना ने विध्वंसक पोत यूएसएस थॉमस हडनर को पूर्वी भूमध्य सागर की ओर बढ़ने का निर्देश दिया है तथा दूसरे विध्वंसक पोत को भी आगे बढ़ने का निर्देश दिया गया है, ताकि व्हाइट हाउस द्वारा अनुरोध किए जाने पर वे उपलब्ध हो सकें।
एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्थिति पर चर्चा करने के लिए अपने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुखों के साथ बैठक कर रहे हैं। दोनों अमेरिकी अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि अब तक इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
क्षेत्र में सेनाएं कई दिनों से एहतियाती कदम उठा रही हैं, जिनमें सैनिकों के आश्रितों को स्वेच्छा से क्षेत्रीय सैन्य अड्डों से वापस बुलाना शामिल है, ताकि हमल होने और ईरान की ओर से बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई किये जाने की सूरत में उन कर्मियों की सुरक्षा की जा सके।
पश्चिम एशिया में आम तौर पर करीब 30,000 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते हैं। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर से इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव और यमन में ईरान समर्थित हुतियों द्वारा लाल सागर में वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों पर लगातार हमलों के बीच यह संख्या बढ़कर 43,000 तक पहुंच गई।
अमेरिकी नौसेना के विध्वंसक जहाजों ने एक अक्टूबर, 2024 को ईरान द्वारा 200 से अधिक मिसाइलें इजराइल पर दागे जाने के बाद यूहदी देश की की रक्षा करने के लिए कई मिसाइल रोधी हथियार दागे थे।