नेपालः प्रचंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद माओवादियाें पर एकजुट होने का दबाव

नेपालः प्रचंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद माओवादियाें पर एकजुट होने का दबाव

काठमांडू, 7 मार्च । नेपाल के विभाजित माओवादी अब एकता की राह पर चल पड़े हैं। प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के खिलाफ याचिका दर्ज होने के बाद माओवादी तत्वों पर इकट्ठा होने का दबाव बढ़ गया है ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दबाव के चलते मंगलवार को प्रधानमंत्री आवास बालुवाटार में माओवादी पक्ष के 8 दलों ने शांति समझौते व बदलाव के खिलाफ गतिविधियों का एकमत होकर जवाब देने का वादा कर एकता का संदेश दिया । लंबे समय के बाद सशस्त्र जनयुद्ध का समर्थन करने वाले माओवादी एक साथ खड़े हुए और एक संयुक्त बयान जारी किया।

वर्ष 2020 में माघी त्योहार पर टुंडी खेल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि वह सशस्त्र युद्ध में मारे गए 17000 लोगों में से केवल 5000 लोगों की जिम्मेदारी लेंगे। इससे माओवादियों में भी खौफ पैदा हो गया है।

वर्ष 2012 में मोहन वैद्य के नेतृत्व में राम बहादुर थापा (बादल), सीपी गजुरेल, नेत्र विक्रम चंद और अन्य नेताओं ने तत्कालीन संयुक्त सीपीएन (एमसी) को छोड़ दिया।

वर्ष 2015 में संविधान लागू होने के बाद, डॉ. बाबूराम भट्टराई ने माओवादियों को छोड़ दिया। तब से वैद्य के नेतृत्व वाली पार्टी टूट गई। वैद्य से अलग होकर बिप्लब द्वारा बनाई गई पार्टी भी टूट गई। माओवादी तितरबितर हो गए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद अब भटके हुए माओवादी एकता की ओर बढ़ चुके हैं।