स्टॉकहोम, 9 अक्टूबर । अमेरिकी अर्थशास्त्री क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल कहा जाने वाला स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से घोषणा की गई कि महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत करने के लिए गोल्डिन को यह सम्मान दिया गया है।
अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में हर वर्ष स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार दिया जाता है। इसे अर्थशास्त्र का नोबेल भी कहा जाता है। वर्ष 2023 के लिए यह पुरस्कार अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लाउडिया गोल्डिन को देने का निर्णय हुआ है। गोल्डिन का जन्म वर्ष 1946 में न्यूयार्क में हुआ था। गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार में भागीदारी का पहला व्यापक विवरण प्रदान किया। उनके शोध से परिवर्तन के कारणों के साथ-साथ शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का भी पता चलता है।
क्लाउडिया गोल्डिन के शोध निष्कर्षों में कहा गया है कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। उन्होंने अमेरिका से 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया है, जिससे उन्हें यह प्रदर्शित करने की अनुमति मिली है कि समय के साथ कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया है।
गोल्डिन ने दिखाया कि इस पूरी अवधि में श्रम बाजार में महिला भागीदारी में ऊपर की ओर रुझान नहीं था, बल्कि एक यू-आकार का वक्र बना। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में कृषि प्रधान समाज से औद्योगिक समाज में परिवर्तन के साथ विवाहित महिलाओं की भागीदारी कम हो गई, लेकिन फिर बीसवीं सदी की शुरुआत में सेवा क्षेत्र के विकास के साथ इसमें वृद्धि होने लगी। गोल्डिन ने इस पैटर्न को घर और परिवार के लिए महिलाओं की जिम्मेदारियों के संबंध में संरचनात्मक परिवर्तन और विकसित हो रहे सामाजिक मानदंडों के परिणाम के रूप में समझाया।