आपूर्ति विभाग की अनियमितता से नहीं बंटा अगस्त माह का खाद्यान्न: सांसद

आपूर्ति विभाग की अनियमितता से नहीं बंटा अगस्त माह का खाद्यान्न: सांसद

पलामू, 2 सितंबर । अगस्त माह में जनवितरण प्रणाली के खाद्यान्न में कटौती को लेकर पलामू के सांसद बीडी राम ने झारखंड सरकार और जिला आपूर्ति विभाग की लापरवाही एवं अनियमितता को जिम्मेवार ठहराया है। सांसद शनिवार को डालटनगंज स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षों से पलामू संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलें पलामू एवं गढ़वा सुखाड़ का दंश झेल रहे हैं। बावजूद इसके अगस्त महीने का राशन कार्डधारियों को कई प्रखंडों में राशन नहीं मिल पाया है। कई प्रखंडों के राशन कार्डधारियों ने इस आशय की शिकायत उनसे की है।

खासकर गढ़वा के कांडी एवं सदर मेदिनीनगर प्रखंड के राशन कार्डधारियों द्वारा स्थिति की जानकारी प्राप्त करने पर यह पता चला है कि भारत सरकार के द्वारा पलामू जिले के लिए लगभग 3200 मैट्रिक टन खाद्यान की कटौती की गयी है। कटौती से लगभग 08 लाख लाभुक अगस्त माह के राशन से वंचित हो जायेंगे।

भारत सरकार के द्वारा अगस्त माह में खाद्यान्न में कटौती का कारण यह है कि सितम्बर से दिसम्बर 2022 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत सम्पूर्ण खाद्यान का वितरण नहीं हुआ था और स्टाक में उतना खाद्यान्न होना चाहिए था। राज्य सरकार को चाहिए था कि बचे हुए खाद्यान्न का समायोजन जनवरी, फरवरी 2023 तक कर लेती। उक्त अवधि के खाद्यान्न का समायोजन 8 माह बाद अगस्त महीने में करने का क्या औचित्य है? खाद्यान्न वितरण में सरकार एवं विभाग ने गड़बड़ी की है।

उन्होंने कहा कि सितम्बर से दिसम्बर 2022 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत सम्पूर्ण राशन का वितरण क्यों नहीं हुआ और बचा हुआ राशन वर्तमान में कहां है? यह पूरी तरह से स्पष्ट किया जाए। अगस्त माह का खाद्यान्न बचे हुए लाभुकों को शीघ्र उपलब्ध कराया जाय।

सांसद ने कहा कि पलामू जिले में सुखाड़ की स्थिति बन गई है। पलामू की अपेक्षा गढ़वा में थोड़ी स्थिति ठीक है। पलामू में औसत बारिश से 500 मिलीमीटर कम बरसात हुई है। इस कारण खरीफ फसल पर असर पड़ा है। मात्र 6 प्रतिशत धान का अच्छादन हुआ है। मक्का का अच्छादन 60 प्रतिशत है। इसकी स्थिति थोड़ी अच्छी है। दलहन 39.62 प्रतिशत एवं तेलहन 37.39 प्रतिशत और मोटे अनाज का अच्छा धान 12.62 प्रतिशत हुआ है। ऐसे में सुखाड़ की स्थिति प्रबल लग रही है। फसलों की बुआई नहीं होगी तो पैदावार कहां से होगा? ऐसे में अनाज और चारा की कमी महसूस होगी।