नई दिल्ली, 19 अक्टूबर । लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे सेना के ध्रुव हल्के हेलीकॉप्टर में खामियां पहचानने के बाद अब उन्हें प्राथमिकता के आधार पर ठीक किया गया है। भारत के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव में डिजाइन संबंधी समस्या को ठीक करके उड़ान के लिए हेलीकॉप्टरों को उन्नत नियंत्रण प्रणाली से लैस किया गया है। इसी साल लगातार कई दुर्घटनाएं होने के बाद सवाल उठने पर देश के 300 से अधिक एएलएच की उड़ान पर रोक लगा दी गई थी।
तीनों सेनाओं और भारतीय तटरक्षक बल के बेड़े में शामिल लगभग 300 एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) विभिन्न प्रकार की उड़ान भर रहे हैं, जिनमें मार्क-1, मार्क-2, मार्क-3 और मार्क-4 शामिल हैं, जिन्हें रुद्र वेपन सिस्टम इंटीग्रेटेड (डब्ल्यूएसआई) भी कहा जाता है। सेना 145 से अधिक स्वदेशी एएलएच संचालित करती है, जिनमें से 75 रुद्र हथियारयुक्त संस्करण हैं। इस साल की शुरुआत में दो महीने से भी कम समय में लगातार तीन दुर्घटनाओं के बाद एएलएच बेड़े को कई हफ्तों के लिए जमीन पर खड़ा कर दिया गया। पिछले पांच वर्षों के दौरान 12 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
सैन्य विमानों की उड़ान योग्यता के प्रमाणन के लिए जिम्मेदार एक शीर्ष सरकारी नियामक संस्था ने अप्रैल में डिजाइन समीक्षा का आदेश दिया। सभी हेलीकॉप्टरों के इंजनों के अलावा अन्य तकनीकी जांच की गई, जिसमें कई तरह की खामियां मिलीं। जांच-पड़ताल के बाद विमान निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एएलएच विमानों में एल्यूमीनियम के बजाय स्टील से बने नए बूस्टर कंट्रोल रॉड लगाने का फैसला लिया। एचएएल हेलीकॉप्टर कॉम्प्लेक्स के सीईओ एस अंबुवेलन ने कहा कि इससे विमान की डिजाइन और उड़ान में सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ये छड़ें पायलटों को हेलीकॉप्टर की गति नियंत्रित करने में मदद करेंगी।
एचएएल के एक अधिकारी का कहना है कि 120 हेलीकॉप्टरों के लिए नए बूस्टर कंट्रोल रॉड विभिन्न स्क्वाड्रनों को भेजे जा चुके हैं। बाकी हेलीकॉप्टरों के लिए ये छड़ें नवंबर तक मिल जाएंगी। इससे रॉड की विफलता से जुड़ी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी। दुर्घटनाओं को देखते हुए हेलीकॉप्टरों की उड़ान क्षमता में सुधार के लिए एक उन्नत नियंत्रण प्रणाली फिट की गई है। उन्होंने कहा कि यह एएलएच की नियंत्रण असेंबली में पहला अपग्रेड है, इसी तरह अन्य दो छड़ें भी अगले माह नवंबर से जून, 2024 के बीच बदल दी जाएंगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विमान की डिजाइन में सुधार की बहुत जरूरत थी, क्योंकि भारत इसके निर्यात करने पर भी विचार कर रहा है।