देश के वन्य-जीव संरक्षण के इतिहास में शनिवार को जुड़ेगा नया अध्याय, दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 चीते

देश के वन्य-जीव संरक्षण के इतिहास में शनिवार को जुड़ेगा नया अध्याय, दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 चीते

- केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान कूनो नेशनल पार्क में करेंगे रिलीज

- सुबह 10 बजे इंडियन एयरफोर्स के सी-17 ग्लोब्समास्टर मास्टर प्लेन से ग्वालियर पहुंचेंगे चीते

श्योपुर, 17 फरवरी । देश और मध्य प्रदेश के वन्य-जीव संरक्षण के इतिहास में शनिवार, 18 फरवरी को एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीका से लाये जा रहे 12 चीतों का कुनबा शामिल हो जा रहा है। इनमें 7 नर चीते और 3 मादा चीते हैं।

इन चीतों को लाने के लिए इंडियन एयरफोर्स के सी-17 ग्लोब्समास्टर मास्टर प्लेन साउथ अफ्रीका दक्षिण अफ्रीका पहुंच चुका है। यह विमान शनिवार को साउथ अफ्रीका से चीता लेकर सुबह 10 बजे ग्वालियर के राजमाता सिंधिया एयरपोर्ट पर लैंड करेगा और वहां से दोपहर 11.00 बजे तक तीन हेलिकाप्टर चीतों को लेकर कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चीतों को कूनो पार्क में रिलीज करेंगे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितम्बर 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो में छोड़ा था। अब 12 चीते आने से यहां इनकी संख्या बढ़कर 20 हो जाएगी। दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों को यहां बाड़ों में छोड़ने के लिए कूनो नेशनल पार्क में जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं। चीतों की देखभाल के लिये व्यापक इंतजाम किये गये हैं। कोरेंटाइन बोमा में 12 चीतों को रखने के लिये 10 कोरेंटाइन बोमा तैयार किये गये हैं। इनमें 8 नये और 2 पुराने कोरेंटाइन बोमा को परिवर्तित किया गया है। इसके अलावा दो आइसोलेशन वार्ड तैयार किये गये हैं। सभी कोरेंटाइन बोमा में छाया के लिये शेड बनाये गये हैं। चीतों के लिये पानी की व्यवस्था की गई है।

जानकारी मिली है कि दक्षिण अफ्रीका में चीतों को भोजन देने के बाद शुक्रवार को ट्रेंकुलाइज किया गया, ताकि वह सफर में शांत रहकर कूनो नेशनल पार्क तक आ सकें। चीतों को कूनो नेशनल पार्क आने के बाद अगला खाना दिया जाएगा। इंडियन एयरफोर्स का सी-17 ग्लोब्समास्टर मास्टर प्लेन साउथ अफ्रीका से शुक्रवार देर रात उड़ान भरेगा और शनिवार सुबह 10 बजे ग्वालियर लैंड करेगा। यहां दोपहर 11 बजे तक हेलिकाप्टरों के जरिए चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया जाएगा। यहां इनके लिए बनाए गए क्वारंटीन बाड़ों में दोपहर 12.30 बजे तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय वनमंत्री भूपेंद्र यादव इन चीतों को रिलीज करेंगे।

बताया गया है कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों के साथ चार दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट भी आएंगे। इन चीतों के साथ वेटरनरी डॉक्टर और चीता एक्सपर्ट डॉक्टर लारेल उसी विशेष विमान के साथ आएंगी।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का पालपुर कुनो राष्ट्रीय उद्यान वन्य-जीव प्रेमियों के लिए सबसे अनूठा गंतव्य है। कूनों में करधई, खैर और सलाई की बहुतायत लुभावने जंगल हैं और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों की संख्या में घास चरते वन्यजीव हैं। यह क्षेत्र लगभग 350 वर्ग किलोमीटर के अभयारण्य के रूप में शुरू हुआ था और एक पत्ती के आकार का था जिसके बीचों-बीच में एक रीढ़ की हड्डी की तरह कुनो नदी बहती है। यह नदी न केवल जंगल में निरंतर पानी की आपूर्ति बनाए रखने व जंगल की सिंचाई करने में मदद करती है, बल्कि इससे इस संरक्षित क्षेत्र का नाम भी पड़ा है।

अनूठा कूनो

कूनो नेशनल पार्क-कूनो वन्य-जीव डिवीजन और आसपास का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से वन्य-जीवों से समृद्ध रहा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल में भी घने जंगल के रूप में जाना जाता था। कूनो नदी के आसपास का क्षेत्र प्राचीन काल से जैव विविधता से समृद्ध रहा है। राज्य सरकार ने इस स्थान के महत्व को महसूस करते हुए वर्ष 1981 में लगभग 3300 वर्ग किमी के बड़े वन क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 345 वर्ग किमी के कूनो वन्य-जीव अभयारण्य की स्थापना की। वन्य-जीव संरक्षण को और मजबूत करने और इस क्षेत्र के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त 891 वर्ग किमी क्षेत्र को बफर के रूप में जोड़ कर वर्ष 2002 में 1235 वर्ग किमी के कूनो वन्य-जीव प्रभाग की स्थापना की गई।

यह पशुओं की विभिन्न प्रजातियों में समान रूप से समृद्ध है। यह क्षेत्र वन्य-जीव के लिए विभिन्न अनुकूल कारकों का एक दुर्लभ रहवास स्थल है। इस क्षेत्र को चीतों के पुनर्वास लिए सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में पहचाना गया।

क्या है कूनों में

कूनो नेशनल पार्क के वन क्षेत्र में मुख्य रूप से करधई, सलाई, खैर के पेड़ों का वर्चस्व है, जो ज्यादातर मिश्रित जंगलों के बीच हैं। इससे वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ होने में भी मदद मिलती है। कुल मिलाकर 123 प्रजातियों के पेड़, झाड़ियों की 71 प्रजातियाँ, बेलों और विदेशी वनस्पति की 32 प्रजातियाँ, बाँस और घास की 34 प्रजातियाँ कूनो नेशनल पार्क में पाई जाती हैं।

वर्ष 1947 में भारत में सिर्फ 3 चीते बचे थे। शिकार हो जाने से उनका अस्तित्व खत्म हो गया था और वर्ष 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया। तब से अब तक देश में फिर से चीतों के पुनर्वास के कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चीता एक्शन प्लान को सार्थक बनाया गया। चीतों के पुनर्वास के लिये नामीबिया, साउथ अफ्रीका सहित भारत के वैज्ञानिकों और विषय-विशेषज्ञों के शोध के बाद तैयार विस्तृत चीता एक्शन प्लान के सुखद परिणाम से अब कूनो नेशनल पार्क का गौरव बढ़ा है।