अमेरिका और भारत ने टू प्लस टू वार्ता में रक्षा सहयोग बढ़ाने पर किया विचार

नई दिल्ली, 10 नवंबर । भारत और अमेरिका ने टू प्लस टू वार्ता प्रक्रिया के तहत रक्षा सहयोग, उन्नत प्रौद्योगिकी सहित द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर शुक्रवार को व्यापक विचार-विमर्श किया। वार्ता में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर तथा अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भाग लिया। वार्ता में इजराइल-हमास संघर्ष, हिंद प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रम और बांग्लादेश में आगामी चुनाव आदि मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा हुई।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने वार्ता के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी सहयोग और विकसित हो रही नवीन तकनीकी, आपूर्ति श्रृंखला, अंतरिक्ष सहयोग और दुर्लभ खनिजों के बारे में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि टू प्लस टू वार्ता का यह पांचवां संस्करण था, जिसमें दोनों देशों ने आपसी साझेदारी को और मजबूत बनाने का फैसला किया। विदेश सचिव ने कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष के संबंध में भारत ने अपना पक्ष रखा। भारत का मानना है कि उस क्षेत्र में इजराइल और फिलिस्तीन के दो देश संबंधी समाधान और वहां नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। साथ ही आतंकवाद के खतरे का सामना करने का भी सवाल है।

कनाडा के साथ जारी टकराव के बारे में विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताओं के बारे में अमेरिका को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में भारत विभिन्न देशों को अपनी सुरक्षा चिंताओं के बारे में अवगत कराता रहा है। उन्होंने इस संदर्भ में खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के हालिया वीडियो का भी उल्लेख किया। विदेश सचिव ने कहा कि विभिन्न देश भारत की चिंता को समझते हैं। विदेश सचिव ने कहा कि द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने रक्षा सहयोग के संबंध में वार्ता की। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक मुद्दों पर सहमति लगातार बढ़ रही है जो चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला करने पर केंद्रित है। सिंह ने कहा कि रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत बनाने तथा आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने के लिए भी दोनों देश तत्पर हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने चीन के खतरे और सुरक्षा चुनौती पर विचार-विमर्श किया। वार्ता में अन्य अनेक मुद्दे पर भी चर्चा हुई।