कांग्रेस ने मोदी की स्वतंत्रता दिवस के भाषण को बासी, पाखंडी, नीरस और चिंताजनक बताया

कांग्रेस ने मोदी की स्वतंत्रता दिवस के भाषण को बासी, पाखंडी, नीरस और चिंताजनक बताया

(FM Hindi):-- कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार, 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्रता दिवस का भाषण को बासी, पाखंडी, नीरस और चिंताजनक बताया।

रमेश ने सोसिआल मिडिआ X मे एक पोष्ट मे लिखा हे किप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्रता दिवस का भाषण बासी, पाखंडी, नीरस और चिंताजनक ।उन्होंने कहा कि विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और सबका साथ, सबका विकास जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

रमेश ने दैबै किया किमेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का वादा अनगिनत बार किया जा चुका है -हर बार धूमधाम से, हर बार बिना परिणाम के। यह वादा दरअसल आज एक बड़े झूठ के साथ किया गया -जो पीएम मोदी की पहचान बन चुका है ,क्योंकि भारत का पहला सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स 1980 के दशक की शुरुआत में ही चंडीगढ़ में स्थापित हो चुका था।

रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वतंत्रता दिवस का भाषण मे किसानों की रक्षा की बात का भि आलोचना किआ। उन्होंने कहाकिसानों की रक्षा अब खोखली और अविश्वसनीय लगती है, क्योंकि उन्होंने तीन काले कृषि कानून थोपने की कोशिश की थी। आज भी एमएसपी की कानूनी गारंटी, लागत पर 50% लाभ के साथ एमएसपी तय करने, या कर्ज़ माफी का कोई ठोस ऐलान नहीं है। रोजगार सृजन पर भी केवल दिखावटी बातें की गई हैं, ठोस और विश्वसनीय रोडमैप का अभाव है, उन्होंने कहा ।

उन्होंने काहा कि प्रधानमंत्री ने एकता, समावेशन और लोकतंत्र पर लंबा भाषण दिया, जबकि वे स्वयं चुनाव आयोग जैसी हमारी बुनियादी संवैधानिक संस्थाओं के पतन के जिम्मेदार और योजनाकार रहे हैं। विपक्ष के नेता द्वारा चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठाए गए बुनियादी सवालों का जवाब उन्होंने अब तक नहीं दिया है।

उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए लाखों मतदाताओं को वंचित किया जा रहा है। राज्यों को सशक्त बनाने के उनके दावे तब खोखले लगते हैं, जब केंद्र लगातार संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है, और विपक्ष के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को हाशिये पर धकेलने या उन्हें गिराने में लगा है।

स्वतंत्रता दिवस दूरदर्शिता, स्पष्टवादिता और प्रेरणा का क्षण होना चाहिए। लेकिन आज का संबोधन आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों का नीरस मिश्रण था - जिसमें देश की गहरी आर्थिक तंगी, बेरोजगारी संकट और तेजी से बढ़ती आर्थिक असमानता का कोई ईमानदार ज़िक्र नहीं था,रमेश ने बोला ।

रमेश ने बतायाकिआज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे चिंताजनक पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था - जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का खुला उल्लंघन है। यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। 4 जून 2024 की घटनाओं के बाद से निर्णायक रूप से कमजोर पड़ चुके प्रधानमंत्री अब पूरी तरह मोहन भागवत की कृपा पर निर्भर हैं, ताकि सितंबर के बाद उनका कार्यकाल का विस्तार हो सके। स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर का व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ के लिए राजनीतिकरण हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है।

रमेश ने काहा आज प्रधानमंत्री थके हुए लगे। जल्द ही वे रिटायर भी होंगे।