कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, पूछा- 'अडाणी समूह पर जेपीसी का गठन क्यों नहीं कर रही केंद्र सरकार'

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, पूछा- 'अडाणी समूह पर जेपीसी का गठन क्यों नहीं कर रही केंद्र सरकार'

नई दिल्ली, 13 फरवरी । कांग्रेस इन दिनों अडाणी समूह पर लगे आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर संसद से लेकर सड़क तक हमलावार है। इसी क्रम में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पत्र लिखकर अडाणी मसले पर सवाल पूछा और जांच की मांग की।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि अडाणी समूह पर लंबे समय से शेयर की हेराफेरी का आरोप लगता आ रहा है। उन्होंंने कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बार-बार इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बावजूद कि अडाणी समूह स्टॉक में हेरफेर का दोषी है, आश्चर्यजनक रूप से भारतीय नियामकों द्वारा पिछले तीन वर्ष के दौरान अडाणी के शेयरों की कीमतों में संदिग्ध उछाल की जांच करने के लिए कोई तत्परता नहीं दिखाई गई।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्ष 1999 और 2001 के दौरान अडाणी एक्सपोर्ट्स (जिसे अब अडाणी एंटरप्राइजेज के नाम से जाना जाता है) के शेयरों की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की जांच के बाद वर्ष 2007 में सेबी के एक विनिर्णय में पाया गया था कि स्टॉक में हेरफेर करने के लिए कुख्यात केतन पारेख (केपी) से जुड़ी संस्थाएं अडाणी के शेयरों की कीमत को प्रभावित करने के लिए समक्रमिक/छद्म व्यापार (सिंक्रोनाइज़्ड ट्रेडिंग/सर्कुलर ट्रेडिंग) और कृत्रिम मात्रा का निर्माण जैसी हेरफेर पूर्ण गतिविधियों में संलिप्त थीं। यह भी पाया गया था कि अडाणी समूह के संस्थापकों ने बाजार में हेरफेर करने में केतन पारेख की संस्थाओं को सहायता और प्रोत्साहन दिया। ऐसे में सेबी ने वर्ष 2020 के बाद समुचित गंभीरता के साथ जांच करके अडाणी समूह के शेयरों की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि पर अंकुश लगाने का प्रयास क्यों नहीं किया?

जयराम रमेश ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के नेतृत्व वाली सरकारें अतीत में शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर हेराफेरी के मामलों की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने पर सहमत हुई थी। वर्ष 1992 में हर्षद मेहता मामले की जांच के लिए जेपीसी की स्थापना की गई थी, जबकि 2001 में केतन पारेख मामले की जांच जेपीसी ने की थी। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, दोनों को करोड़ों भारतीय निवेशकों को प्रभावित करने वाले घोटालों की जांच के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार अडाणी समूह पर जेपीसी का गठन क्यों नहीं कर रही है?