नई दिल्ली, 26 अगस्त । केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी उद्योग मंत्री परषोत्तम रुपाला ने कहा है कि तटीय जल कृषि विधेयक नौ अगस्त को लोक सभा और राज्य सभा में पास हो गया। इसके परिणामस्वरूप अब तटीय जल कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियाें में व्यापक सुधार होगा। इसके साथ साथ युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।
संसद टीवी के साथ संवाद कार्यक्रम में शनिवार को परषोत्तम रुपाला ने कहा कि देश का तटीय क्षेत्र आठ हजार किलोमीटर में फैला हुआ है और दो लाख किलोमीटर का इकॉनामिक जोन है। यहां पर तीन करोड़ से अधिक लोग तटीय जल कृषि से जुड़े हुए हैं। हालांकि पहले इस ओर किसी का ध्यान नहीं था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मत्स्य, पशुपालन और डेयरी उद्योग काे स्वतंत्र मंत्रालय का दर्जा देकर इस सेक्टर में कायाकल्प कर दिया। ऐसे में हालात सुधरने लगे और इन वर्षों में हालात काफी बदले हैं। आंकड़ों के अनुसार देश के कुल मछली उत्पादन में अंतर्देशीय मछली और एक्वाकल्चर का योगदान 75 फ़ीसदी है । वर्ष 1950 में अंतर्देशीय मछली उत्पादन जहाँ दो लाख टन था और वर्ष 2014 तक यह बढ़कर 61 लाख टन हुआ, यह आंकड़ा 2022-23 में बढ़कर 131 लाख टन पर पहुंच गया है। अर्थात आज़ादी के समय से लेकर मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले तक इस क्षेत्र में जितना उत्पादन बढ़ा, उससे कहीं ज़्यादा बढ़ोतरी पिछले नौ वर्षों में ही दर्ज हुई है।
उन्होंने बताया कि तटीय जल कृषि विशेषकर मत्स्य उत्पादन पांच साल से लगातार आठ प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। जहां देश ने हरित क्रांति देखी थी, वहीं श्वेत क्रांति भी देखी है और अब देश ब्लू क्रांति की ओर बढ़ चुका है। मंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थ तंत्र की इस मजबूत कड़ी को एक अदालती निर्णय की वजह से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद 400 हेचरी और छोटे मोटे एक दो हेक्टेयर की हेचरी चला रहे लाखों किसानों पर घाेर संकट आ गया था। अब इस विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पास हो जाने के बाद इस तरह की कई कमियां दूर हो जाएंगी।
परषोत्तम रुपाला ने कहा कि दुनिया में डेयरी के क्षेत्र में भारत पहले पायदान पर है। मत्स्य उत्पादन और निर्यात में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। झींगा उत्पादन के साथ दरियाई शैवाल और मोती की भी खेती की जा सकेगी। यहां तक कि विश्व में किसी तरह की जलीय मछली की मांग होगी तो उसका उत्पादन किया जा सकेगा। पहले की कमेटी में देश के चार राज्यों का प्रतिनिधित्व था, अब देश के तटीय क्षेत्र के 13 प्रदेशों को प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसे विधेयक में जोड़ भी दिया गया है। पुराने कानून में तीन साल की सजा का प्रावधान था, अब इसे नए कानून में दूर कर दिया गया है। अब लाखों छोटे सीमांत जल कृषि किसानों को कई एजेंसियों से सीआरजेड मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य सरकारों से मिलकर पंजीकरण कराने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि छोटे मोटे अपराध के लिए जुर्माने जैसी नागरिक अनुकूल प्रणाली अपनाई जाएगी। इस नए संशोधन बिल से साधारण किसानों को भी फायदा मिलेगा। तकनीक को डोर स्टेप तक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। एक फिश डिजीज एप लांच किया गया है, जिससे किसान को अपने फार्म में किसी तरह की बीमारी के इलाज में त्वरित मदद मिलेगी।