नई दिल्ली, 14 मार्च । वरिष्ठ संपादक, मातृभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक और प्रखर चिंतक डॉ. वेदप्रताप वैदिक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने गुरुग्राम (हरियाणा) के सेक्टर-55 स्थित अपने घर पर सुबह अंतिम सांस ली।
वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने डॉक्टर वैदिक के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर वैदिक एक संघर्षशील और जुझारू पत्रकार थे। उन्होंने कभी मूल्यों से समझौता नहीं किया। जिस मंच पर रहे उन्होंने हिन्दी का मजबूती से पक्ष रखा।
अच्युतानंद मिश्र ने मंगलवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत करते हुए कहा कि डॉक्टर वैदिक हिन्दी के कट्टर समर्थकों में से एक थे। वो ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अपना शोधपत्र हिन्दी में जमा किया। इसके लिए उन्हें जेएनयू प्रशासन से लोहा लेना पड़ा क्योंकि विश्वविद्यालय चाहता था कि वह अपना शोधपत्र अंग्रेजी में लिखकर जमा करें। लेकिन डॉक्टर वैदिक नहीं माने और इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। अंत में जेएनयू प्रशासन को झुकना पड़ा और उनका शोधपत्र हिन्दी में ही जमा हुआ। इस कार्य में उनको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित अन्य नेताओं ने भी मदद की। उनके इसी संघर्ष के बाद देश में उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। डॉक्टर वैदिक हिंदी सत्याग्रही के तौर पर जाने जाते हैं। उनके निधन पर पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
हिन्दी पत्रकारिता के वट वृक्ष थे डॉक्टर वैदिक: केजी सुरेश
वरिष्ठ पत्रकार व माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने डॉक्टर वैदिक को याद करते हुए कहा कि वह हिन्दी पत्रकारिता के वट वृक्ष थे। उनके जाने से पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। प्रो. सुरेश ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत करते हुए कहा कि डॉक्टर वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाई। उन्होंने हिन्दी के साथ-साथ भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष किया।
सुरेश ने कहा कि डॉक्टर वैदिक ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को हिन्दी सीखने में मदद की। उन्होंने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) में रहते हुए पीटीआई भाषा को खड़ा किया। डॉक्टर वैदिक देश के ऐसे पत्रकार थे जिनकी ख्याति पूरी दुनिया में थी। उनके निधन से पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर वैदिक आज गुरुग्राम (हरियाणा) में निधन हो गया। डॉ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को पौष की पूर्णिमा पर इंदौर में हुआ था। वह रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के जानकार थे। वैदिक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान थे, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा था।