जयपुर, 9 मार्च । न्याय की मांग को लेकर पिछले दस दिनों से धरने पर बैठीं पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं का ग़ुस्सा गुरुवार को एक बार फिर फूट पड़ा। शहीदों की तीनों वीरांगनाओं ने मुंह में घास (दूब) दबाकर अनूठे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी वीरांगनाओं को पुलिस के रोकने के दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई। भाजपा सांसद ने वीरांगनाओं की समस्या का हल न करने के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए।
गुरुवार को बारिश में वीरांगनााओं ने धरनास्थल पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास से मुख्यमंत्री आवास की ओर से कूच किया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया इस पर उनकी झड़प भी हुई। उन्होंने दांतों में दूब घास का तिनका दबाकर शरणागत होते हुए शहीदों के सम्मान करने की मांग की। बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस कर्मियों ने वीरांगनाओं को रोकने की पूरी कोशिश की। वीरांगनाओं का कहना है कि सरकार अपनी हठधर्मिता के पिछले 10 दिन से धरना देने के बाद भी हमारी बात नहीं सुनी जा रही है। मुख्यमंत्री के पास इतना भी समय नहीं है कि उनसे मिलकर उनका दर्द जान सकें।
हालात बिगड़ते देखकर सांसद डॉक्टर किरोड़ी मीणा भी मौक़े पर पहुंच गये और उन्होंने वीरांगनाओं को रोककर प्रदर्शनकारियों को शांत किया। भाजपा सांसद डॉ मीणा ने कहा कि वीरांगनाएं 10 दिन से धरने पर बैठी है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। वीरांगना मंज़ू जाट पांच दिन से आमरण अनशन पर है। वीरांगना को किसी तरह का ख़तरा हुआ तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार की रहेगी। डॉ मीणा ने कहा की दांतों में तिनका दबाए हुए वीरांगनाएं मुख्यमंत्री के शरणागत हो रहे शहीदों के सम्मान की याचना कर रही हैं, पर निष्ठुरता की सीमा पार कर चुके मुख्यमंत्री सम्मान देने के बजाय व्यर्थ की बयानबाजी कर रहे हैं। डॉक्टर मीना ने कहा कि गुर्जर आंदोलन में मृतक परिवारों में देवर भतीजों आदि सदस्यों को नौकरी दी गई थी जब यहां नौकरी दे सकते हैं, इस मामले में क्या दिक़्क़त है। किरोडी ने कहा कि बड़े से बड़ा राक्षस भी इतनी याचना के बाद पिघल जाता है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 8 मार्च को बयान जारी कर कह चुके हैं कि पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं को पैकेज दिया जा चुका है। भाजपा के कुछ नेता वीरांगनाओं का इस्तेमाल सियासी रोटियां सेंकने के लिए कर रहे हैं। उनकी मौजूदा मांगें अनुचित है।