जल्द ही भारतीय विमान स्वदेश निर्मित इंजनों के साथ उड़ान भरेंगे : राजनाथ

जल्द ही भारतीय विमान स्वदेश निर्मित इंजनों के साथ उड़ान भरेंगे : राजनाथ

नई दिल्ली, 14 फरवरी । रक्षा मंत्रालय एयरोस्पेस क्षेत्र को एक नया प्रोत्साहन देने और पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एयरो-इंजनों के स्वदेशी निर्माण पर काम कर रहा है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। यही समय सुनिश्चित करने का है कि भारतीय विमान स्वदेश निर्मित इंजनों के साथ उड़ान भरें। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जल्द ही उस दिशा में तेजी से प्रगति करके अपनी उपलब्धियों की सूची में पृथ्वी, आकाश और अग्नि मिसाइलों को शामिल करेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बातें मंगलवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इसका विषय स्वदेशी एयरो इंजनों के विकास के लिए आगे बढ़ने सहित भविष्य के एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज का स्वदेशी विकास था। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, स्टील्थ, हाइपरसोनिक और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आवश्यक हथियार प्रणालियों के स्वदेशी डिजाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने अब भारतीय वायु सेना के लिए एलसीए एमके II को स्वीकृति दे दी है, जबकि भारतीय नौसेना के लिए दोहरे इंजन डेक आधारित लड़ाकू विमान पर विचार किया जा रहा है। हमने 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ एयरक्राफ्ट के रूप में एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के डिजाइन और विनिर्माण की राह पर भी आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। चाहे जल हो, जमीन हो या आसमान हो, डीआरडीओ सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हमेशा सबसे आगे रहा है। रक्षा मंत्री ने संगोष्ठी के दौरान प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) के माध्यम से विकसित एमआईजी-29के के लिए स्वास्थ्य उपयोग और निगरानी प्रणाली वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमडे को सौंपी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने उद्योगों को 12 प्रौद्योगिकियां सौंपी। इन तकनीकों का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण-टीओटी देश में रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों के क्षेत्र में विनिर्माण इको-सिस्टम को और मजबूत करेगा। अब तक डीआरडीओ ने भारतीय उद्योगों के साथ 1,500 से अधिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते किए हैं। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जी सतीश रेड्डी भी उपस्थित थे।