नई दिल्ली, 16 फरवरी । विदेशी निर्भरता कम करने और रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने हथियारों और युद्ध उपकरणों के पूर्ण स्वदेशीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में कई स्वदेशी परियोजनाओं को डीआरडीओ, डीपीएसयू और निजी उद्योग आगे बढ़ा रहे हैं। आने वाले समय में आयातित इन्वेंट्री को चरणबद्ध तरीके से हटाकर पूरी तरह से स्वदेशी हथियारों के साथ बदल दिया जाएगा।
सरकार की नीति के अनुरूप भारतीय नौसेना ने रक्षा उत्पादन विभाग के सहयोग से बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान एयरो आर्मामेंट सस्टेनेंस में आत्मनिर्भरता विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि रक्षा राज्यमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के स्पष्ट आह्वान पर सशस्त्र बलों की प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि रक्षा क्षेत्र में कई स्वदेशी परियोजनाओं को डीआरडीओ, डीपीएसयू और निजी उद्योग आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निजी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। उन्होंने मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि समकालीन सुरक्षा कैनवास राष्ट्रों के बीच बढ़ती अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता को दर्शाता है, जो स्थायी संकट की दुनिया की ओर ले जा रहा है। नौसेनाध्यक्ष ने कहा कि भारतीय नौसेना ने नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन के तहत एक त्रि-स्तरीय संगठन की स्थापना की है, ताकि उद्योग के साथ हमारे सहयोग को और अधिक प्रोत्साहित किया जा सके। यह संगोष्ठी प्रमुख हितधारकों को एक सामान्य मंच पर लाने के लिए आयोजित की गई है, ताकि हम अपनी आवश्यकताओं को साझा कर सकें और आपके रचनात्मक विचारों, इनपुट और चुनौतियों को सुन सकें।
संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय उद्योग के माध्यम से तीन उद्देश्यों को हासिल करने में आने वाली चुनौतियों को उजागर करना है। संगोष्ठी में रक्षा मंत्रालय, उपयोगकर्ता, डीआरडीओ, डीपीएसयू और भारतीय उद्योग के प्रमुख हितधारक विस्तृत पैनल चर्चा में शामिल हुए। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में सशस्त्र बलों और भारतीय उद्योग दोनों ने आत्मनिर्भरता के लिए सरकार के आह्वान का अच्छी तरह से जवाब दिया है। निजी उद्योगों को पूर्ण स्वदेशी प्रणालियों के डिजाइन एवं विकास में उल्लेखनीय सफलता मिली है और अधिक परियोजनाओं को लेने के लिए निजी उद्योग का विश्वास बढ़ा है।
संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा हुई कि सशस्त्र बलों के लिए अगले कुछ वर्षों में मौजूदा हथियारों और प्रणालियों को बरकरार रखने और उनके रखरखाव को सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है। आने वाले समय में आयातित इन्वेंट्री को चरणबद्ध तरीके से हटाकर पूरी तरह से स्वदेशी हथियारों के साथ बदल दिया जाएगा। इस तरह की नीति से सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने के लिए विदेशी ओईएम, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और डीपीएसयू के साथ साझेदारी के लिए निजी उद्योग के लिए कई रास्ते खुलेंगे। इसके बाद वह दिन दूर नहीं जब हथियारों में आत्मनिर्भरता के सपने को पूरी तरह से साकार करने के साथ ही स्वदेशी आयुधों के रखरखाव और उन्नयन को सुनिश्चित करने की ओर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।