मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई को एसटी का दर्जा देने के सुझाव को लिया वापस

मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई को एसटी का दर्जा देने के सुझाव को लिया वापस

इंफाल, 22 फरवरी । मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई को एसटी का दर्जा देने संबंधी अपने फैसले में दिये गये सुझाव को वापस ले लिया है। उल्लेखनीय है कि मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा बीते वर्ष मार्च में दिए गए इस फैसले के बाद से राज्य के कुकी-जो समुदाय के लोगों ने हिंसक आंदोलन शुरू कर दिया था। मणिपुर में हिंसा आज भी जारी है।

उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार बनाम मिलिंद तथा अन्य मामले संबंधी एक फैसला का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 तथा 342 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि किस जाति या जनजाति को किस श्रेणी में रखें। उच्च न्यायालय ने माना कि यह निर्णय संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिए ही लिया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि मार्च 2023 के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका के बाद, उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 17(iii) को हटाने का आदेश दिया। इस अनुच्छेद के जरिए मणिपुर सरकार को मैतेई को अनुसूचित जनजाति सूची में जोड़ने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। हटाए गए पैराग्राफ में कहा गया है कि राज्य सरकार मीतेई/मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर तेजी से विचार करेगी।

उच्च न्यायालय के आदेश में लिखा गया है कि मैं संतुष्ट हूं और इस विचार से कि एकल न्यायाधीश के दिनांक 27.03.2023 के अनुच्छेद संख्या 17 (iii) में दिए गए निर्देश 2023 के डब्ल्यूपी (सी) संख्या 229 में पारित किए गए हैं, जिसे यहां लागू करने की आवश्यकता है। समीक्षा की गई क्योंकि एकल न्यायाधीश के अनुच्छेद संख्या 17(iii) में दिया गया निर्देश सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ में की गई टिप्पणी के खिलाफ है। तदनुसार, पैरा संख्या 17(iii) में दिये गये निर्देश को हटाने की आवश्यकता है और डब्ल्यूपी (सी) संख्या 229/2023 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 27.03.2023 के पैरा संख्या 17(iii) को हटाने के लिए तदनुसार आदेश दिया जाता है।

देखना यह है कि मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले को मैतेई समुदाय के लोग किस प्रकार लेते हैं और राज्य में जारी हिंसा पर इसका क्या असर पड़ता है।