नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए मॉडल के रूप में उभरा : प्रधानमंत्री मोदी

नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए मॉडल के रूप में उभरा : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 16 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूजल में कमी को भारत के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि नमामि गंगे अभियान, आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर का निर्माण जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रधानमंत्री वीडियो संदेश के माध्यम से राजस्थान के सिरोही जिले में आबू रोड स्थित ब्रहमकुमारी संस्थान के शांतिवन में जल जन अभियान का शुभारंभ करने के बाद संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कहा कि जल-जन अभियान ऐसे समय में शुरू किया जा रहा है, जब पानी की कमी को पूरे विश्व में भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की दुनिया पृथ्वी पर सीमित जल संसाधनों की गंभीरता को महसूस कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की बड़ी आबादी के कारण जल सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल में, भारत भविष्य के रूप में पानी की ओर देख रहा है। अगर पानी है तो कल होगा। उन्होंने कहा कि आज से संयुक्त प्रयास शुरू करने होंगे। प्रधानमंत्री ने देश में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदलने पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि ब्रह्मा कुमारी संस्थान का जल-जन अभियान जनभागीदारी के इस प्रयास को नई ताकत देगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण अभियानों की पहुंच को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ना केवल गंगा साफ हो रहीं हैं बल्कि उनकी तमाम सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रही हैं। गंगा के किनारे प्रकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं। जल प्रदूषण की तरह ही, गिरता भू जल स्तर भी देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों के दौरान हम मानसिकता के साथ-साथ परिदृश्य को भी सफलतापूर्वक बदलने में सफल रहे हैं। नमामि गंगे उसी का एक उदाहरण है। इतनी बड़ी आबादी के कारण वाटर सिक्योरिटी हम सब की साझी जिम्मेदारी है। जल रहेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हमें आज से ही प्रयास करने होंगे।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में दुनिया समझ गई है कि जल संसाधन सीमित हैं और जल सुरक्षा की आवश्यकता सभी की जिम्मेदारी है। हमारा भविष्य पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है और मुझे खुशी है कि पूरा देश जल संरक्षण को एक आंदोलन के रूप में ले रहा है।

प्रधानमंत्री ने भारत के उन ऋषि-मुनियों पर प्रकाश डाला जिन्होंने हजारों साल पहले प्रकृति, पर्यावरण और जल को लेकर संयमित, संतुलित और संवेदनशील व्यवस्था बनाई थी। उन्होंने कहा कि हम जल को देव की संज्ञा देते हैं और नदियों को मां मानते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब समाज प्रकृति के साथ ऐसा भावनात्मक जुड़ाव बनाता है तो सतत विकास उसके जीवन का स्वाभाविक तरीका बन जाता है। उन्होंने अतीत की चेतना को फिर से जागृत करते हुए भविष्य की चुनौतियों का समाधान तलाशने की आवश्यकता को दोहराया। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति देशवासियों में विश्वास जगाने और जल प्रदूषण का कारण बनने वाली हर बाधा को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में ब्रह्मा कुमारी संस्थान जैसे भारत के आध्यात्मिक संस्थानों की भूमिका को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने पिछले दशकों पर दुख व्यक्त किया जहां एक नकारात्मक विचार प्रक्रिया विकसित हुई थी और जल संरक्षण और पर्यावरण जैसे विषयों को कठिन माना गया था। प्रधानमंत्री ने पिछले 8-9 वर्षों में आए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मानसिकता और स्थिति दोनों बदली है। नमामि गंगे अभियान का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि न केवल गंगा बल्कि उसकी सभी सहायक नदियां भी साफ हो रही हैं जबकि गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा है।

कैच द रेन कैंपेन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गिरता भूजल स्तर भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि अटल भूजल योजना के माध्यम से देश की हजारों ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के अभियान का भी जिक्र किया और कहा कि यह जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है।