(FM Hindi):--कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार, 12 मई 2025 को कहा कि केंद्र सरकार को पाकिस्तान के साथ सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए समझौता करने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और संसद सत्र आयोजित करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और उनके संचालकों के खिलाफ अभियानों का पूरा श्रेय सशस्त्र बलों को जाना चाहिए, और कोई भी राजनीतिक रूप से इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में सिद्धारमैया ने कहा, युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है और दोनों देश इस पर सहमत हुए हैं। दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) की बैठक हो रही है, देखते हैं वहां क्या निर्णय होता है।
मैसूर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, मेरी राय में, केंद्र सरकार को युद्धविराम से पहले सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी। साथ ही, संसद को भी बुलाया जाना चाहिए था, क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है।
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व की तुलना वर्तमान भारत-पाकिस्तान स्थिति से करने वालों पर उन्होंने कहा, 1971 को 54 साल हो चुके हैं, मैं अब इस बारे में बात नहीं करना चाहता। युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, डीजीएमओ बात कर रहे हैं, देखते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य में सभी पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़कर चले गए हैं, सिद्धारमैया ने कहा कि मैसूर में केवल तीन बच्चे थे और बाकी सभी चले गए हैं।
ये तीन बच्चे छह साल से कम उम्र के थे। उनके माता-पिता में मां भारतीय थीं और पिता पाकिस्तानी थे।
उन्होंने कहा, तीन बच्चे सीमा पर गए थे और वहां कोई उन्हें लेने नहीं आया, इसलिए वे वापस आ गए। अब वे अपनी मां के साथ हैं।