प्राण प्रतिष्ठा : माथे पर तिलक और मधुर मुस्कान...आभामंडल ऐसा, जिसे निहारते रहे रामभक्त

प्राण प्रतिष्ठा : माथे पर तिलक और मधुर मुस्कान...आभामंडल ऐसा, जिसे निहारते रहे रामभक्त

Pran Pratishtha: Tilak on the forehead and a sweet smile

- दुनिया के लिए अद्भुत व स्वर्णिम क्षण रहा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

- पटाखे छोड़ खुशियां मना रहे थे रामधुन में मगन युवा, अखंड पाठ की गूंज

अयोध्या, 22 जनवरी । हो गई प्राण प्रतिष्ठा, आ गए प्रभु श्रीराम... 22 जनवरी 2024 का अभिजीत मुहूर्त न केवल श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए बल्कि देश-दुनिया के लिए भी अद्भुत व स्वर्णिम क्षण था। संपूर्ण सनातन व संपूर्ण मानव समाज श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बना। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के वक्त बच्चे हों या बुजुर्ग अथवा महिला सभी सनातनियों की निगाह टीवी पर थी। एक ओर भजन-कीर्तन, अखंड पाठ गूंज रही थी तो दूसरी ओर रामधुन में मगन युवा पटाखे छोड़ खुशियां मना रहे थे।

सनातन काल में 14 वर्ष वनवास के बाद जब प्रभु श्रीराम वापस अयोध्या लौटे तो उस समय हर कोई चाहता था कि भगवान श्रीराम से सबसे पहले मैं मिलूं, लेकिन राम तो एक थे और भक्त अनेक। उस समय भगवान श्रीराम की ऐसी महती कृपा हुई कि एक क्षण में भगवान श्रीराम सबको मिल गए। इस चमत्कार का जिक्र रामचरित मानस में है, जिसमें लिखा है- छन महिं सबहि मिले भगवाना। उमा मरम यह काहुँ न जाना॥

रामचरित मानस में यह भी लिखा है कि सकल राममय जानि। प्रत्येक व्यक्ति राम है, प्रत्येक व्यक्ति के अंदर विराजमान जीव आत्मा उस ब्रह्म का ही अंश है, इसलिए सभी ने एक-दूसरे को राम समझकर आपस में गले मिल लिया। ठीक वही क्षण 22 जनवरी 2024 को दिखा। पूरा विश्व रामनगरी अयोध्या में मंत्रोच्चारण के बीच सविधि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बना।

स्वर्ण व फूलों से सुशोभित रामलला का दर्शन कर रामभक्त धन्य हो गए। काले पत्थर से बनी प्रतिमा में श्रीराम की बेहद मनमोहक छवि नजर आ रही थी। आभामंडल ऐसा, जिसे निहारते ही जाने का मन कर रहा था। माथे पर तिलक और मधुर मुस्कान अद्भुत छटा बिखेर रही थी। रामलला की इस मूर्ति में मुकुट के साइड सूर्य भगवान, शंख, स्वस्तिक, चक्र और गदा नजर आ रहा था। मूर्ति में रामलला के बाएं हाथ धनुष-बाण अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार के स्वरूप भी थे। मत्स्य, कूर्म,वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि। इसके अलावा प्रतिमा के एक ओर हनुमान तो दूसरी ओर गरुड़ नजर आ रहे हैं।

अरुण योगीराज ने गढ़ी है रामलला के बाल स्वरूप की मूरत

रामलला की यह मूर्ति कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है। इसकी खास बात यह है कि इसे एक ही पत्थर से बनाया गया है, यानी कि पत्थर में कोई भी दूसरा पत्थर नहीं जोड़ा गया है। इस मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट है। इस मूर्ति में भगवान श्रीराम को पांच साल के बाल स्वरूप को दर्शाया गया है।