उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सवाल उठ रहा है !

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर  सवाल उठ रहा है !

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया था।उनके इस्तीफे को लेकर कई स्रोतों और टिप्पणियों से यह तस्वीर उभरती है कि यह निर्णय अचानक और अप्रत्याशित था, जिसने राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े किए हैं।

जयराम रमेश, जो राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता हैं, ने इसे अचानक, चौंकाने वाला और अस्पष्ट बताया।उन्होंने कहा कि वह उस दिन शाम 5 बजे तक धनखड़ के साथ थे और 7:30 बजे उनसे फोन पर बात भी हुई थी। कई राज्यसभा सांसदों ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति उस दिन स्वस्थ और सामान्य दिख रहे थे।

रमेश ने यह भी बताया कि धनखड़ ने मंगलवार, 22 जुलाई को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक तय की थी और उनके द्वारा न्यायपालिका से संबंधित कुछ प्रमुख घोषणा करने की उम्मीद थी।धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सीय सलाह का हवाला दिया, लेकिन इस्तीफे का समय, जो संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुआ, और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उनकी मुलाकात के तुरंत बाद की घोषणा ने कई अटकलों को जन्म दिया। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि सरकार ने उनमें विश्वास की कमी जताई हो सकती है या उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया हो। हालांकि, इस बारे में राष्ट्रपति भवन या सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि धनखड़ द्वारा विपक्षी सांसदों की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने से सरकार नाखुश थी। यह प्रस्ताव तब स्वीकार किया गया, जब लोकसभा में सभी दलों के सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव पर सहमति बनाने की प्रक्रिया चल रही थी। कुछ का मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा के बीच समन्वय की कमी के लिए धनखड़ को बलि का बकरा बनाया गया।

इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा का राज्यसभा में यह बयान कि केवल वही रिकॉर्ड में जाएगा जो मैं कहूंगा ने भी चर्चा को हवा दी। सामान्य रूप से यह तय करना सभापति का काम होता है कि क्या रिकॉर्ड में जाएगा और क्या नहीं, लेकिन इस टिप्पणी पर न तो विपक्ष और न ही राज्यसभा सचिवालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया आई।

राजनीतिक टिप्पणीकार आशुतोष ने एक चर्चा में कहा कि यह इस्तीफा सरकार के भीतर एक बड़े संकट की शुरुआत हो सकता है। उन्होंने संकेत दिया कि धनखड़ और सरकार के बीच मतभेद बढ़ गए थे, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस्तीफा स्वैच्छिक था या दबाव में दिया गया। वहीं, राशिद किदवई ने सुझाव दिया कि शायद किसी प्रमुख राजनीतिक हस्ती के लिए जगह बनाने के लिए धनखड़ से इस्तीफा मांगा गया।

हालांकि, धनखड़ ने दिन में इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया था। वह देर शाम तक अपने कार्यालय में सांसदों और विभिन्न दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ चर्चा में व्यस्त थे। उनके कार्यकाल की समाप्ति अगस्त 2027 में होनी थी, और वह स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमण ने अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दिया था, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने के लिए था।

भारत का निर्वाचन आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख की घोषणा करेगा। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।

कुल मिलाकर, हालांकि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन इस्तीफे का समय और परिस्थितियां, विशेष रूप से जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और सरकार के साथ संभावित मतभेद, इस बात की ओर इशारा करती हैं कि उनके इस्तीफे के पीछे और भी कारण हो सकते हैं। फिर भी, इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि उनसे स्पष्ट रूप से इस्तीफा मांगा गया था।