पुणे, 1 मार्च । कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 65 से 70 प्रतिशत है। लेकिन महिलाएं अब भी नई तकनीकी अपनाने और औपचारिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भाग लेने में असमर्थ हैं। वे घरेलू जिम्मेदारियों में ही उलझी रहती हैं, ऐसे में इन महिलाओं को कृषि क्षेत्र में निपुण करने के संकल्प को व्यावहारिक रूप देने में जुटी हुई हैं महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की कविता प्रवीण जाधव, जिन्हें लेडी प्लांट डॉक्टर के नाम से पहचाना जाता है। यह मिट्टी से लेकर पौधों को होने वाली बीमारियों का पता लगाकर किसानों को सही समाधान बताती हैं। इसके अलावा किसानों को खेती से जुड़े सामान बहुत कम कीमत पर उपलब्ध करवा रही हैं। इलाके की अनगिनत महिला किसान उनसे जुड़ी हुई हैं।
कविता ने राहुरी स्थित महात्मा फूले कृषि विद्यापीठ से एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। अपने स्नातक पाठ्यक्रम के दौरान ही किसानों के साथ सीधे तौर पर काम करना शुरू कर दिया और अपना कृषि सेवा केंद्र स्थापित कर लिया। वो एक सफल महिला कृषि उद्यमी के रूप में कार्य करते हुए 450 किसानों को अपनी सेवाएं दे रही हैं और अपने एग्री एंड फूड सप्लाई सेंटर के माध्यम से एग्री मॉल खड़ा कर लिया है। इससे कई छोटे उद्यमी महिला किसान और किसानों के समूह जुड़ चुके हैं। उनका वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपए से भी अधिक हो चुका है। वो बताती हैं कि अब खुद के एग्री इनपुट सप्लाई सेंटर में किसानों को मिट्टी और पानी की जांच के साथ किसानों के लिए ट्रेनिंग स्कूल खुलेगी।
वर्तमान में कविता किसानों को बिना लाभ कमाए कृषि से जुड़े सामान उपलब्ध करा रही हैं। किसानों के लिए लाइब्रेरी सेवा जिसमें स्थानीय भाषा में कृषि से जुड़ी जानकारी का मासिक बुलेटिन निकाल रही हैं। किसानों से पानी और पत्ते का नमूना इकट्ठा कर कृषि विश्वविद्यालय में जांच के लिए भेजती हैं और रिपोर्ट के आधार पर सलाह देती हैं। यहां तक कि किसानों के खेत में जाकर मोबाइल सॉइल टेस्टिंग किट द्वारा मिट्टी की जांच करना और किसानों को सही खाद के इस्तेमाल की जानकारी देना। कविता अब तक कई स्वयं सहायता समूह और फार्मर क्लब की स्थापना कर चुकी हैं, जो किसानों को कृषि ज्ञान का प्रशिक्षण देने में जुटे हुए हैं। कविता कहती हैं कि जिस तरह बच्चे का सही विकास नहीं होने पर डॉक्टर जांच और विश्लेषण करके उसका कारण और समाधान बताता है, ठीक ऐसा ही करने में उसे संतुष्टि मिलती है।