ऋषिकेश, 04 मार्च । उत्तराखंड के राज्यपाल ने कहा कि भारत में योग, साधना, संस्कृति का आपस में बेजोड़ संबंध है। यह बात शनिवार की सुबह ऋषिकेश मुनि की रेती स्थित गंगा रिजॉर्ट में हो रहे सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने बतौर मुख्य अतिथि प्रथम सत्र में प्रतिभाग करते हुए कही। उन्होंने प्रथम सत्र में योग कक्षाओं का भी निरीक्षण कर योग प्रशिक्षकों से विभिन्न आसनों की जानकारी प्राप्त कीं।
राज्यपाल ने अंतरराष्ट्रीय योग सभा के दौरान कहा कि ऋषिकेश दुनिया में योग, ध्यान, साधना के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है। योग मन, मस्तिष्क और आत्मा को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में योग एक विशिष्ट स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया इस रोग से ग्रसित थी, तब योग एवं प्रणायाम ने ना सिर्फ़ मानव में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम किया बल्कि लोगों को आत्मबल भी दिया। उन्होंने कहा कि योग से मनुष्य को ना सिर्फ़ शारीरिक रूप से मजबूती मिलती है बल्कि इससे मानसिक रूप से भी शांति मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत में योग, साधना, संस्कृति का आपस में बेजोड़ संबंध है। उन्होंने कहा कि संस्कृत शब्द का अर्थ सांसों के कृत हैं, यानी कि प्रणायाम के दौरान जब संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते हैं तो हमारे मन मस्तिष्क और आत्मा को शांति प्रदान होती है। उन्होंने पर्यटन विभाग को योग महोत्सव का सोशल मीडिया के जरिए व्यापक प्रचार प्रसार करने करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि आज भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है जहां एक ओर भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है वहीं भारत के अनुरोध पर यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत योग की शक्ति का प्रमाण पूरा विश्व देख चुका है, इसीलिए भारत के अनुरोध पर हर वर्ष 21 जून को विश्व योगा दिवस मनाया जाता है। सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे ने राज्यपाल को आयोजन संबंधी विस्तृत जानकारी दी।
इस दौरान योग विशेषज्ञ दिलराज प्रीत कौर, डॉ. प्रिया अहूजा ने विभिन्न योगासनों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. रजनीकांत, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील जोशी समेत बड़ी संख्या में योग साधक मौजूद रहे।