हैदराबाद, 3 फरवरी । सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक के. विश्वनाथ का शुक्रवार को हैदराबाद में निधन हो गया। 92 वर्षीय के. विश्वनाथ उम्रजनित बीमारियों से पीड़ित थे। उन्होंने हैदराबाद के जुबली हिल्स अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। कल देर रात 1:00 बजे के आसपास उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास जुबली हिल्स लाया गया।
के. विश्वनाथ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया और उन्हें सिनेमा की महान शख्सियत बताया। उन्होंने ट्वीट किया- श्री के विश्वनाथ के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। वह सिनेमा की दुनिया के एक महान शख्सियत थे और साथ ही रचनात्मक और बहुआयामी निर्देशक थे। उन्होंने अलग-अलग शैलियों में फिल्में बनाई और कई दर्शकों का अपने दर्शकों का मनोरंजन किया। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं और सहानुभूति। ओम शांति।
पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ने अपनी फिल्मों के लिए वैश्विक पहचान अर्जित करते हुए सिनेमा के माध्यम में गहराई और गरिमा लाई।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विश्वनाथ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वनाथ एक दुर्लभ प्रतिष्ठित फिल्म निर्देशक थे जिन्होंने एक साधारण कहानी को चुना और अपनी अद्भुत प्रतिभा के साथ इसे सिल्वर स्क्रीन पर एक क्लासिक फिल्म में बदल दिया। केसीआर ने विश्वनाथ और उनके बीच फिल्मों, संगीत और साहित्य पर हुई चर्चा को भी याद किया, जब वह बीमार निर्देशक के घर गए थे।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने एक ट्वीट में फिल्म निर्माता के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि वे तेलुगु संस्कृति और भारतीय कलाओं का दर्पण थे।
परिवार सूत्रों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार आज शुक्रवार शाम को हैदराबाद में किया जाएगा।
महान निर्देशक ने अपने करियर की शुरुआत 1951 में तेलुगु-तमिल फिल्म पत्थला भैरवी में सहायक निर्देशक के रूप में की थी। 1965 में तेलुगु फिल्म आत्मा गौवरम से उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा।
इस दिग्गज ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। साल 1980 में के विश्वनाथ को बेसनकॉन फिल्म फेस्टिवल ऑफ फ्रांस में जनता का पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1992 में कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए आंध्र प्रदेश प्रदेश में रघुपति वेंकैया पुरस्कार और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 2017 में उन्हें दादा साहेब फालके पुरस्कार से नवाजा गया।
विश्वनाथ ने मानवीय और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कई फिल्में बनाई, जिनमें सप्तपदी, सिरीवेनेला, सूत्रधारुलु, सुभलेखा, श्रुतिलायालु, शुभ संकल्पम, स्वयं कृषि, और स्वर्णकमलम शामिल हैं। 1980 में उन्हें द्वारा निर्देशित फिल्म शंकराभरणाम सुपरहिट रही।
विश्वनाथ ने ईश्वर, संजोग, सुर संगम, संगीत, धनवान और कई अन्य हिंदी फिल्मों का भी निर्देशन किया। उनका चिरंजीवी और कमल हासन जैसे अभिनेताओं से घनिष्ठ संबंध रहा। जबकि त्रिविक्रम जैसे नए जमाने के निर्देशक के विश्वनाथ को अपना गुरु मानते हैं।