सरिसवा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर वीरगंज महानगरपालिका ने शुरू की कवायद

सरिसवा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर वीरगंज महानगरपालिका ने शुरू की कवायद

मोतिहारी,09 मार्च।नेपाल से लेकर भारत तक बहने वाली सरिसवा नदी को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर वीरगंज महानगरपालिका ने कवायद शुरू कर दी है।इसको लेकर मेयर राजेशमान सिंह द्धारा गठित अनुगमन टीम ने नेपाल के वीरगंज से पथलैया तक स्थित औद्योगिक कॉरिडोर के सभी कल कारखानों का निरीक्षण किया जा रहा है।साथ ही उन कारखानो को नोटिस दिया जा रहा है,जो अपना अपशिष्ट सीधे नदी में गिरा रहे हैं।

इसकी जानकारी देते हुए मेयर श्री सिंह ने बताया कि नोटिस के द्धारा नेपाल के वैसे उद्योग जो बिना एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाये सीधे अपना अपशिष्ट नदी में गिरा रहे हैं,उन्हे यथाशीघ्र प्लांट लगाने को कहा जा रहा है।साथ ही जिन उद्योगों में ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं पर चालू अवस्था में नहीं हैं। उन्हे शीघ्र प्लांट को दुरुस्त करके नियमित रूप से संचालन करने की अपील की जा रही है,वही नियम के अनुपालन नहीं करने की स्थिति में उन पर विधि सम्मत कारवाई की जायेगी।उन्होने बताया कि इस अभियान में वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ से भी सहयोग की अपील की गयी है।

बताते चले कि सरिसवा नदी जो नेपाल से निकलकर पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल होते हुए रामगढवा सुगौली सीमा पर बूढी गंडक में मिलती है।जिसमें नेपाल में बड़े पैमाने पर औधौगिक कचरा व रसायनिक अवयव बहाये जाने के कारण काफी प्रदूषित होकर भारत नेपाल के भूगर्भ जल को प्रदूषित कर रही है।जिसको लेकर स्थानीय पर्यावरणविदो द्धारा लगातार आवाज उठाये जाने के बाद एनजीटी ने भी कारवाई करने को कहा जिस पर डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने भी दोनो देश के अधिकारियो के साथ समन्वय स्थापित कर रक्सौल व वीरगंज में एसटीपी लगाये जाने का निर्देश दिया था। साथ ही पत्राचार के द्धारा वीरगंज महानगरपालिका, वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के साथ नेपाल के पर्सा तथा बारा जिला प्रशासन और नागरिक समाज से भी नदी को लेकर आपसी समन्वय और सहयोग पर जोर दिया गया है।

रक्सौल के पर्यावरण विद डॉ.स्वयंभू शलभ वीरगंज महानगरपालिका के मेयर राजेशमान सिंह, वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार गुप्ता व नेपाल भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक वैध सहित अन्य नागरिक संगठन लगातार एसटीपी व ईटीपी लगाये जाने को लेकर प्रयत्नशील है।बताते चले कि इस नदी के प्रदूषण को लेकर भारत सरकार और नदी संरक्षण से जुड़े विभागो ने भी नेपाल सरकार को पत्र के साथ अपना प्रतिवेदन सौंपा है।