गोपेश्वर, 01 नवम्बर । सबसे ऊंचे हिमपर्वत श्रृंखला पर विराजमान तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस अवसर पर डेढ़ हजार श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ के दर्शन किये।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने श्री तुंगनाथ के कपाट बंद होने के अवसर पर सभी श्रद्धालुजनों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पहली बार तुंगनाथ में एक लाख पैंतीस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये हैं। बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार और मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया है। मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कहा कि कपाट बंद होने और श्री तुंगनाथ की डोली यात्रा सफल समापन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
कपाट बंद होने के कार्यक्रम के अवसर पर बुधवार को प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में श्री तुंगनाथ के कपाट खुल गये थे। इसके बाद प्रातः कालीन पूजा-अर्चना और दर्शन शुरू हो गये। तत्पश्चात दस बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो गयी। बाबा तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को स्थानीय फूलों भस्म आदि से ढंक कर समाधि रूप दे दिया गया। इसके बाद ठीक ग्यारह बजे पूर्वाह्न श्री तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद श्री तुंगनाथ की देव डोली मंदिर प्रांगण में आ गयी और मंदिर परिक्रमा के पश्चात देवडोली चोपता को प्रस्थान हुई।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि दो नवम्बर को श्री तुंगनाथ की देव डोली भनकुन प्रवास करेगी, तीन नवम्बर को भूतनाथ मंदिर होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी तथा तीन नवम्बर को यहां पर देवभोज का आयोजन किया जायेगा। इसी के साथ यहां बाबा तुंगनाथ की शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी।
कपाट बंद होने के अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, मठापति रामप्रसाद मैठाणी, डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, पुजारी प्रकाश मैठाणी, गीता राम मैठाणी, हर्षवर्धन मैठाणी आदि मौजूद थे।