समस्तीपुर, 6 जून । समस्तीपुर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में जल्द ही एवोकैडो की खेती और इस पर अनुसंधान का कार्य शुरू होगा। अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होने की संभावना है।
विश्वविद्यालय के सह निदेशक अनुसंधान और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) प्रोफेसर एस के सिंह ने मंगलवार को बताया कि बिहार की कृषि जलवायु में इस फल की खेती से संबंधित पैकेज एंड प्रैक्टिसेज दे पाना संभव होगा।
उन्होंने बताया कि अनुसंधान का यह कार्य जुलाई से अगस्त माह के दौरान शुरू होगा। एवोकैडो का फल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। उन्होंने बताया कि दक्षिण अमेरिका और लैटिन देश से जुड़े बहुत से व्यंजनों जैसे चिपोतले चिलीस, गुयाकमोल, चोरीजो, ब्रेकफास्टस और टोमेटिल्लो सूप आदि में एवोकैडो फल का उपयोग अधिक किया जाता है।इसका प्रचलन आजकल भारत में भी अधिक देखने को मिल रहा है।
सिंह ने बताया कि एवोकैडो अधिक पौष्टिक फल है जिसमें पोटेशियम केले से भी अधिक पाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके फलों में स्वास्थ संबंधित पोषक तत्व मौजूद होते है जो हमें तनाव से लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण मध्य मैक्सिको में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है, लेकिन अब भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ भागों में भी इसकी खेती काफी जोरशोर से की जाने लगी है।