जलवायु परिवर्तन के दौर में मिट्टी की ऊर्वरा बढ़ाने के लिए करे मूंग की खेती:मृदा विशेषज्ञ

जलवायु परिवर्तन के दौर में मिट्टी की ऊर्वरा बढ़ाने के लिए करे मूंग की खेती:मृदा विशेषज्ञ

मोतिहारी,18 मार्च।जलवायु परिवर्त्तन के दौर में खेतो की उर्वरा शक्ति बढाने में मूंग की खेती सबसे उपयुक्त है। उक्त जानकारी हिन्दुस्थान समाचार को देते जिले के परसौनी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ आशीष राय ने बताया कि किसान भाई जिन खेतों से आलू की खुदाई और सरसों की कटाई कर चुके है,उसमे वे गरमा फसल के रूप में मूंग की बुआई कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि मूंग की फसल अतिरिक्त उपज के साथ खेतों में हवा से नाइट्रोजन प्राप्त कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। इससे दूसरी फसलों का भी बढ़िया उत्पादन मिलता है साथ ही मिट्टी की सेहत में गुणात्मक सुधार होती है। इसकी खेती आलू, सरसों, मटर आदि फसलों के बाद बसंत ऋतु में और गेहूं चना आदि के बाद ग्रीष्म ऋतु में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। इसकी खेती पंक्ति बुवाई एवं शुन्य जुताई विधि से भी की जा सकती है।

ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की बुवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक करना लाभकारी होता है। बुवाई के समय गहराई का खास ध्यान रखना चाहिए। बहुत अधिक या कम गहराई पर बुवाई करने से बीज के अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मूंग की बुवाई के लिए बीज दर का निर्धारण बीज के आकार एवं दशा के अनुसार करना उचित होगा। साधारण मोटे आकार का बीज 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में प्रयोग करना चाहिए। मूंग बुआई के पहले खेत में सल्फर, बोरान तथा सूक्ष्म पोषक तत्व के साथ बीज का उपचार जैव उर्वरक से करना चाहिए।

उन्होने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ मूंग बुआई के लिए किसानो को प्रशिक्षित करते हुए इन्हे मूंग की बुवाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।जिन किसान भाई को इसके लिए विशेष जानकारी प्राप्त करना है,वे केन्द्र के चुन्नु कुमार, रूपेश कुमार व संतोष कुमार से संपर्क कर मूंग की खेती के बारे में विशेष जानकारी व सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।