बेगूसराय, 22 मई ।केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पर्याप्त राशि दिए जाने के बावजूद बिहार सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के अधिकार में की जा रही कटौती का मामला तूल पकड़ चुका है। संभव है कि पंचायती राज मंत्रालय इस पर जल्द ही कोई एक्शन ले तथा बिहार सरकार को जारी किए गए निर्देश में सुधार करने को कहे।
सोमवार को जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष मो अहसन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री को ज्ञापन देकर विभिन्न बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया है। इस पर गिरिराज सिंह ने उन्हें सार्थक पहल करने का आश्वासन दिया है। इस दौरान मुखिया संघ द्वारा दिए गए स्मार पत्र में बिन्दुओं की ओर ध्यान दिलाया गया है।
गिरिराज सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भारत की आत्मा गांव और ग्रामीण के विकास को लेकर सतत प्रयत्नशील है। गांव और ग्रामीण विकास को लेकर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पर्याप्त राशि दिए जा रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा अधिकारों में जो कटौती की गई है, उसको लेकर विभागीय स्तर से सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
गिरिराज सिंह ने मुखिया के प्रतिनिधिमंडल से अनुरोध किया कि अपने-अपने क्षेत्र के गांव में किसानों की निजी जमीन पर भी फलदार पौधे लगाएं। इससे एक ओर पर्यावरण संरक्षित होगा, तो दूसरी ओर फलदार पेड़ में लगे फल से किसानों की आय में वृद्ध होगी, उनकी आर्थिक समृद्धि होगी। उन्होंने कई अन्य बिंदुओं पर भी सकारात्मक पहल करने की बात कही है।
मुखिया संघ के अध्यक्ष मो अहसन ने बताया कि ग्राम पंचायत के विकास के लिए राशि पंचायती राज मंत्रालय देती है, वहीं से दिशा-निर्देश भी मिलता है। लेकिन बिहार सरकार अलग तरह से अपना आदेश लागू कराना चाहती है। संविधान के 73 वें संशोधन के आधार पर सभी 29 विषयों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए ग्राम पंचायतों को सुपुर्द किया जाए।
पंचायतों से ग्राम सभा करने तक का अधिकार छीन लिया गया है। बिहार सरकार तारीख तय करती है कि कब आमसभा करना है। भौगोलिक स्थित एवं जरूरत के अनुसार योजनाओं को चयन करने का अधिकार ग्राम पंचायत को दिया जाए। ग्राम पंचायतों को स्वतंत्र रूप से ग्राम सभा के माध्यम से योजनाओं को चयन करने एवं सरकारी राशि के आवंटन का अधिकार हो।
पंचायत स्तरीय कर्मचारियों पर ग्राम पंचायतों का नियंत्रण हो। सोलर स्ट्रीट लाइट को लगाने के लिए स्वतंत्र रूप से पंचायतों को ही काम करने का अधिकार दिया जाय। केन्द्र से भेजा गया पैसा बिहार सरकार मंगवा कर अपने हिसाब से कार्य करती है और कार्रवाई की धमकी मुखिया को दिया जाता है। सभी कल्याणकारी योजनाओं आवास, राशन कार्ड, कबीर अंत्येष्टि, पेंशन, कन्या विवाह योजना, शौचालय एवं गरीबी उन्मूलन इत्यादि योजनाओं के चयन का सीधा अधिकार ग्राम पंचायत को दिया जाय।
केन्द्र सरकार द्वारा विकास योजनाओं की राशि डायरेक्ट ग्राम पंचायत के खाते में दिया जाए। वेंडर चयन करने का अधिकार पुरानी नीति के अनुसार ग्राम पंचायतों को मिले। मुखिया का मानदेय कम से कम 25 हजार रुपये मासिक तथा 50 लाख रुपये के सामूहिक बीमा कराने की गारंटी मिले। बिहार में मुखिया की लगातार हो रही हत्या को लेकर हथियार का लाइसेंस या सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा मनरेगा के विभिन्न समस्या की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है।