सोंढूर के डामर रोड में मिट्टी डालने से राहगीर हो रहे परेशान

सोंढूर के डामर रोड में मिट्टी डालने से राहगीर हो रहे परेशान

धमतरी, 19 जुलाई । मेचका व सोंढूर रोड में शासन-प्रशासन ने मिट्टी डाल दिया है, जो बारिश में चलने लायक नहीं है इससे राहगीरों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं एक पुल भी टूट चुका है, इससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। दलदल मार्ग के चलते यहां के विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। शासन-प्रशासन के इस कार्य की ग्रामीणों ने निंदा की है।

सोंढूर के ग्रामीण विमला धु्रवा, संतोष कुमार नेताम, पंकज नेताम, मनीष कुमार, मुकेश प्रधान, लोकेश साहू, अभिषेक यादव, खेमलाल नाग, पवन नेताम, बिेंदेश्वर जालेश, दीपक कुमार, भागवत वैष्णव और छोटू साहू ने 18 जुलाई को मेचका से सोंढूर मार्ग में एकत्र हुए। यहां के डामर रोड पर शासन द्वारा मिट्टी डालने की निंदा की है, क्योंकि बारिश होने के बाद यह सड़क मार्ग पूरी तरह से मिट्टी से दलदल हो चुका है, जो चलने लायक नहीं है। कुछ दिन पहले यहां पदस्थ एक जवाबदार अधिकारी के निर्देश पर ऐसा हुआ है।

मेचका सीआरपीएफ कैंप से ग्राम मेचका की दूरी तीन किलोमीटर है। इस बीच एक पुल है, जो वर्तमान में बारिश के चलते टूटा हुआ है। बारिश के चलते इस सड़क पर शासन-प्रशासन द्वारा मिट्टी डालने की वजह से सड़क पूरी तरह से कीचड़युक्त व दलदल में तब्दील हो चुका है। इस मार्ग में वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है। वाहन चालक वाहन के फंसने की डर से इस मार्ग में नहीं ले जा रहे हैं, इसके चलते यहां से निजी स्कूलों में अध्ययन करने जाने वाले छोटे बच्चें स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। वहीं छात्राएं भी इस दलदल मार्ग में साइकिल नहीं चला पा रही हैं, यहां के ज्यादातर विद्यार्थी सांकरा स्कूल में अध्ययनरत है, ऐसे में वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामीणों की आवाजाही भी पूरी तरह से प्रभावित है। सड़क की दुर्दशा करने वाले विभाग के खिलाफ ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसा गलती न करें। वहीं गांव के टूटे हुए पुल को शासन-प्रशासन से शीघ्र ही मरम्मत कराने व नया बनाने की मांग की है, क्योंकि यह पुल सालों पुराना है। समय रहते यदि सड़क में सुधार नहीं किया गया और पुल नहीं बना, तो ग्रामीणों ने भविष्य में उग्र आंदोलन करने की चेतावनी जिला प्रशासन को दी है। जर्जर सड़क मरम्मत करने की मांग जब ग्रामीणों ने की थी, तो यहां मिट्टी को डाल दिया गया था, क्योंकि उस समय महानदी ओड़िशा जल विवाद को लेकर इस मार्ग से उच्चाधिकारी पहुंचे हुए थे। इन अधिकारियों के जाने के बाद मिट्टी नहीं हटाया गया, जबकि हटाने की बातें कहीं गई थी।