धमतरी, 6 जून । एनजीटी के तहत खेतों में पड़े पराली को आग के हवाले करना कानूनन अपराध है। इसके बाद भी किसान आग लगा रहे है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता तो घटती है साथ ही पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इससे निकलने वाला धुआं वायुमंडल में जाकर मिल जाता है। इससे ग्लोबल वार्मिग ग्राफ बढ़ता है। कार्बनडाई आक्साइड की मात्रा बढ़ने से तापमान में वृद्धि होती है।
इन दिनों धमतरी शहर से लगे हुए आस-पास के गांव में आगजनी की घटनाएं हो रही है। खेतों में पराली को जलाने से आग भभकते हुए दूर तक पहुंच जाती है, जिससे बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। कुछ दिनों पूर्व शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में सेहराडबरी के पास स्थित बालाजी एचपी पेट्रोल पंप के पास अर्जुनी की ओर से खेत में जलाई गई पराली की आग पहुंच गई थी। समय रहते उस पर काबू पा लिया गया, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। शासन-प्रशासन के लगातार समझाईश के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पराली जलाने से न सिर्फ प्रदूषण फैल रहा है बल्कि बड़ी दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। पिछले दिनों कोलियारी के पास खेतों में आग लग गई थी, जिस पर मुश्किल से काबू पाया गया था। शुक्रवार को अर्जुनी खार में किसानों ने पराली में आग लगा दी। जो धीरे से बढ़ते हुए बालाजी पेट्रोल पंप के पीछे तक पहुंच गयी, जिसे देखते हुए फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। यदि 50 फीट और आग अंदर पहुंचती तो कल्पना नहीं किया जा सकता कि इससे कितना बड़ा हादसा हो सकता था।
बालाजी पेट्रोल पंप के संचालक टीडी सिन्हा ने बताया कि पंप के मेन टैंक से सिर्फ 50 फीट आग पहुंच गई थी। यदि बाउंड्रीवाल के पास उसके कर्मचारी नहीं बुझाते तो आंधी तूफान में आग पंप के अंदर भी आ सकती थी। पराली जलाने वालों पर शासन प्रशासन को सख्त कदम उठाना चाहिए। इसी तरह कुछ दिनों पूर्व ग्राम पंचायत देमार के खार में आग लग गई थी। ग्रामीणों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। धमतरी शहर के सोरिद वार्ड बागतराई मार्ग पर स्थित कचरा डंप सेंटर में कचरे के ढेर के नीचे आग सुलगती रहती है, जिसका विषैला धुंआ आसपास के क्षेत्रों तक फैलते रहता है।
कीर्तन सिंह नरेटी, कृषि विभाग मगरलोड ने कहा कि फसल का अवशेष न जलाने किसानों से अपील की जा रही है। किन समझाइस के बाद भी नहीं मान रहे है। इसमें कृषि विभाग की कोई गलती नहीं है, जबकि विभाग व्यापक प्रचार प्रसार कर रहा है। किसानों की समझदारी से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा।