कांग्रेस ने भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक वक्तव्य को लेकर दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी, ट्रंप से डरे हुए हैं तथा उन्होंने अपने प्रमुख निर्णय अमेरिका को आउटसोर्स कर दिए हैं।
मुख्य विपक्षी दल ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार की विदेश नीति पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। उसने कहा कि ऐसे में केंद्र को सर्वदलीय बैठक बुलाकर या अलग-अलग बात करके विपक्षी नेताओं को विश्वास में लेना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए यह दावा किया कि उन्होंने रूसी तेल नहीं खरीदने के निर्णय की घोषणा ट्रंप को करने दी। ट्रंप ने दावा किया है कि उनके मित्र प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि भारत अब रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदेगा।
भारत सरकार ने कहा कि वह बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप ऊर्जा स्रोत के आधार को व्यापक और विविध बना रहा है।
राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप से डरे हुए हैं। उन्होंने ट्रंप को यह निर्णय लेने दिया और घोषणा करने दी कि भारत रूसी तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी बार-बार आलोचना के बावजूद ट्रंप को सराहना वाले संदेश भेजते रहते हैं।
राहुल गांधी ने कहा, वित्त मंत्री का अमेरिका दौरा रद्द हो गया। शर्म अल-शेख (गाजा शांति प्रस्ताव से संबंधित शिखर सम्मेलन) में भाग नहीं लिया गया। ऑपरेशन सिन्दूर पर ट्रंप के दावे का खंडन नहीं किया गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख निर्णयों को अमेरिका को आउटसोर्स कर दिया है।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 10 मई, 2025 को भारतीय समय के अनुसार शाम 5:37 बजे, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सबसे पहले घोषणा की कि भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर रोक दिया है। इसके बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने पांच अलग-अलग देशों में 51 बार दावा किया है कि उन्होंने टैरिफ और व्यापार को अपने दबाव के हथियार के रूप में इस्तेमाल करके ऑपरेशन सिन्दूर को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री चुप रहे।
उन्होंने कहा, अब राष्ट्रपति ट्रंप ने कल घोषणा की है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल आयात नहीं करेगा।
रमेश ने दावा किया, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख निर्णयों को अमेरिका को आउटसोर्स कर दिया है। 56 इंच का सीना सिकुड़ गया है। रमेश ने बाद में कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रशंसा में ट्वीट (एक्स पर पोस्ट) करते हैं, जबकि वाशिंगटन टैरिफ लगाता रहता है।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति से घोषणा करवाने के बजाय, सरकार अपने द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा खुद क्यों नहीं करती? उन्होंने आरोप लगाया कि विदेश नीति घरेलू राजनीति में ध्रुवीकरण का एक साधन बन गई है, जो देश के लिए एक बहुत ही खतरनाक संकेत है। रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार की विदेश नीति पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, विदेश नीति पर सामूहिक संकल्प की आवश्यकता है और संसद को विश्वास में लिया जाना चाहिए...सरकार को या तो सर्वदलीय बैठक बुलाकर या विपक्षी नेताओं से अलग-अलग बैठक करके बात करनी चाहिए। रमेश ने कहा कि विदेश नीति पर आम सहमति बनाने की तत्काल आवश्यकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति कई बार यह दावा भी कर चुके हैं कि उन्होंने इस साल मई में शुल्क की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया था।
भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि इस साल मई में पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशक ( डीजीएमओ) द्वारा संपर्क किए जाने पर सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार हुआ था।