अनूपपुर, 20 नवंबर । सुबह उगते सूर्य को अध्र्य देने के साथ ही व्रतियों ने अपने व्रत का पारण किया और परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। 20 नवंबर सोमवार को तड़के सुबह से ही छठ घाटों पर व्रतियों की भीड़ लगने लगी थी। घाटों पर मनमोहक छटा देखते ही बन रही थी। इस तरह से लोक आस्था के चार दिवसीय छठ महापर्व का आज समापन हो गया। जिला मुख्यालय स्थित मडफ़ा तलाब (समतपुर) व तिपान नदी के तट सहित कोयलांचल नगरी जमुना कॉलरी, भालूमाड़ा, कोतमा, पसान, बदरा, राजनगर, राजेन्द्रजग्राम एवं अमरकंटक में सभी व्रतियों ने भगवान भास्कर के दर्शन कर अघ्र्य दे कर अराधना की।
छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना कर सूर्य से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की। इससे पहले षष्ठी को यानी 19 नवंबर की शाम को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। भक्तों ने रातभर सूर्य देव के जल्दी उगने की प्रार्थना की। जिला मुख्यालय स्थित मडफ़ा तलाब (समतपुर) व तिपान नदी के तट सहित कोयलांचल नगरी जमुना कॉलरी, भालूमाड़ा, कोतमा, श्रमिक नगर, बदरा, राजनगर, राजेन्द्र्ग्राम एवं अमरकंटक में सभी व्रतियों ने भगवान भास्कर के दर्शन कर अघ्र्य दे कर अराधना की। सुबह के समय घाटों पर बड़ी संख्या में व्रती अपने परिवार जनों के साथ जुट गए। अघ्र्य देने के बाद घाट या घर पर पारण कर श्रद्धालुओं ने अपना व्रत पूर्ण किया। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया।
इस पर्व में छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए के दिन से 36 घंटे का उपवास के बाद शुरू होती हैं। श्रद्धालु खरना के दिन पूरे दिन व्रत रखकर शाम को खीर का प्रसाद बनाते है। तीसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रह कर सूर्य अस्त होने के पहले सज धज कर सभी प्रकार की पूजा सामग्री टोकरी, सूपा में भर कर सिर में रख कर घर के पुरूषो द्वारा नदी तलाबो के घाट में षष्टि माता के मानस रूप मान कर पूजन अर्चन करती है व सूर्य को अर्घ्य देकर घाट पर सभी साथ मिलकर भजन कीर्तन व छठी माता का उपासना करती है। सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय के पूर्व घाट पर पहुच कर स्नान कर पानी मे खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्यं प्रदान करते है उसके बाद पूजन कर सभी को प्रसाद बाट कर अपना व्रत पूर्ण करती है और छठी माता से अपनी मनोकामना का आशीर्वाद मांगती है।