नई दिल्ली, 06 जनवरी । विदेश नीति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में भारत आगामी 12 और 13 जनवरी को विकासशील देशों के समूह ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। वायस ऑफ ग्लोबल साउथ नाम से इस आयोजन का केन्द्रीय विषय- एक आवाज और एक लक्ष्य है। ग्लोबल साउथ में एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका के ज्यादातर देश शामिल हैं।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को एक विशेष पत्रकार वार्ता में ग्लोबल साउथ शिखरवार्ता के आयोजन के उद्देश्यों और प्रारंभिक कार्यक्रम की जानकारी दी, जिसे अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाले इस शिखर सम्मेलन के लिए दुनिया के 120 से अधिक देशों को न्यौता भेजा गया है। इस वर्ष भारत प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के संगठन जी20 की शिखरवार्ता का आयोजन करने जा रहा है। सचिव ने बताया कि ग्लोबल साउथ सम्मेलन के जरिए भारत जी20 शिखरवार्ता के संबंध में विकासशील देशों की आशा-अपेक्षाओं को जानना चाहता है।
उद्घाटन सत्र 12 जनवरी को तथा समापन सत्र 13 जनवरी को होगा। सम्मेलन में कुल 10 सत्र होंगे जिनमें से दो सत्र राष्ट्राध्यक्ष अथवा सरकार प्रमुखों की भागीदारी के साथ होंगे तथा अन्य आठ सत्र मंत्रिस्तरीय होंगे। अन्य सत्रों में वित्त, विदेश, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, वाणिज्य क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं, विकास यात्रा और अनुभवों को साझा किया जाएगा।
विदेश सचिव ने कहा कि यह महत्वपूर्ण पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की सोच से प्रेरित है। सम्मेलन भारतीय दर्शन की वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओत-प्रोत है। सम्मेलन में ग्लोबल साउथ से जुड़े विकासशील देश एक मंच पर आकर अपनी समस्याओं के संबंध में विचार-विमर्श करेंगे।
सम्मेलन में इन देशों के राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री की शिरकत की पुष्टि के बारे में अगले कुछ दिनों में जानकारी साझा की जाएगी। चीन, पाकिस्तान को निमंत्रित किए जाने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में विदेश सचिव ने कहा कि 120 से अधिक देशों को निमंत्रण भेजे गए हैं। सम्मेलन के अंत में विचार-विमर्श का ब्यौरा जारी किया जाएगा। कोरोना महामारी और यूक्रेन संघर्ष के कारण विकासशील देशों के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर भी विचार किया जाएगा।
विकासशील देशों की यात्रा के दौरान ऋण के जाल में फंसने की समस्या पर भी सम्मेलन में चर्चा होगी। विदेश सचिव ने कहा कि ऋण के जाल में फंसने की समस्या को किसी देश विशेष साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पत्रकार वार्ता में विदेश सचिव का ध्यान पड़ोसी देश श्रीलंका के चीन के ऋण जाल में फंसने की ओर दिलाया गया था।