तमिलनाडु: लगातार दूसरे साल गिद्धों की आबादी में बढ़ोतरी

तमिलनाडु: लगातार दूसरे साल गिद्धों की आबादी में बढ़ोतरी

चेन्नई, 27 जनवरी । राज्य में गिद्धों की ताजा गणना के बाद पता चला है कि इनकी संख्या पिछली गणना के बाद से काफी बढ़ी है। पिछले दिसंबर में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में 246 गिद्ध थे जो बढ़ कर 320 हो गये हैं।

राज्य की वन सचिव सुप्रिया साहू ने बताया कि यह तीन दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में आयोजित दूसरी वार्षिक गणना है। तमिलनाडु में अन्य राज्यों की तुलना में गिद्धों की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

सुप्रिया साहू ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा है कि तमिलनाडु में गिद्ध संरक्षण एवं विकास के लिए चार सूत्री कार्यक्रम संचालित किया गया है, जिसमें राय-परामर्श के लिए राज्य स्तरीय विशेषज्ञों की कमेटी गठन, गिद्ध विकास कार्यक्रमों का कठोरता से अनुपालन व निस्तारण जिसमें डाइलोरोफेंस के प्रबंध पर अमल करना, गिद्धों की देखभाल करने वाले डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्य विशेषज्ञों-औषधि विज्ञानियों की खास ट्रेनिंग और गिद्धों के घोंसले स्थापित करने के कार्यक्रम पर विशेष प्रयास शामिल है।

उन्होंने बताया कि राज्य में गिद्धों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें सफेद दुम वाले, लंबी चोंच वाले, लाल सिर वाले और इजिप्शियन प्रमुख गिद्ध हैं। अन्य तीन प्रजातियों के विपरीत इजिप्शियन गिद्ध राज्य में बहुत कम देखे जाते हैं। राज्य द्वारा किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 139 स्थानों पर अध्ययन कार्य किया गया, जिसमें नीलगिरी में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व, इरोड में सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व और तिरुनेलवेली वन प्रभागों में दो दिनों में चार सत्रों के तहत अध्ययन किया गया।

दक्षिण भारत के कई राज्यों में गिद्ध आबादी की रक्षा करने के लिए समिति का गठन किया है। गिद्धों की संख्या में गिरावट का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि मवेशियों के इलाज के लिए डाइक्लोफेनाक दवा पर भी प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। जहरीले और घातक प्रभाव के कारण यह दवा गिद्धों की आबादी में गिरावट का प्रमुख कारण है।

तमिलनाडु में गिद्धों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए पुरानी पद्धति के अनुसार वन विभाग ने शवों को दफनाने की जगह पोस्टमॉर्टम के बाद जंगली जानवरों के शवों को खुले में छोड़ने का फैसला किया है। इसके अलावा, गिद्धों के आवासों में भी कई जल छिद्र बनाए