औरैया, 30 अप्रैल । जनपद के अजीतमल तहसील क्षेत्र के ग्राम दरवतपुर स्थित कुटिया वाले हनुमान मंदिर परिसर पर चल रहे श्री सीताराम महायज्ञ सह धर्म महासमागम में श्रद्धालुओं ने आहुतियां दीं । इस अवसर पर यज्ञाचार्य पं. जितेंद्र तिवारी एवं डॉ. अंशुल दुबे द्वारा यज्ञोपवीत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सामूहिक रूप से क्षेत्र के 33 बालकों को यज्ञोपवीत धारण कराया गया।
यज्ञाचार्य डाॅ. अंशुल दुबे ने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार की उम्र 12 वर्ष की होती है ।इस उम्र में संस्कार न होने पर क्षय दोष लगता है। यज्ञोपवीत संस्कार के साथ बालक ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश करता है। यज्ञोपवीत के साधना संस्कार के कारण बालक का ध्यान तथा चित्त एकत्र रहता है। उन्होंने बताया की सोमवार को भी यज्ञोपवीत संस्कार कराया जाएगा ।
इस अवसर पर भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी वैदिक मंत्रों के बीच किया गया। इसमें बड़ी संख्या में भक्तजन साबित हुए। शाम की बेला में कथा व्यास संत शिरोमणि सियाराम दास ने भागवत कथा के दौरान गोवर्धन पूजा का मार्मिक वर्णन किया उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। कथा के दौरान भगवान गिरिराज पर्वत को उठाते हुए सुंदर झांकी सजाई गई। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक नाचते रहे। कथा प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस मौके पर गोवर्धन लीला की झांकी भी सजाई गई। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया।