कानपुर (कान्हापुर), 30 अप्रैल |नेटजेरो के महत्वपूर्ण मापदंडों के आधार पर सेना छावनियों का परिवर्तन भारत के कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने का एक प्रयास है। एमईएस झांसी के तहत सेना के पांच परिवारों का परिवर्तन पहले चरण में होगा। यह जानकारी रविवार को आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने दी।
प्रोफेसर अभय करंदीकर ने बताया कि यह पहल न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी मदद करेगी। सेना के जवानों के प्रशिक्षण से सस्टेनेबल प्रैक्टिस और उनके कार्यान्वयन के बारे में जागरूकता पैदा करने में भी मदद मिलेगी।
सैन्य स्टेशनों को कार्बन-न्यूट्रल में परिसरों में होगा परिवर्तन
आर्मी स्टेशनों को कार्बन-न्यूट्रल परिसरों में बदलने के लिए मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) झांसी के साथ यह साझेदारी दो संस्थानों के बीच भारत के नेट ज़ीरो प्रोटेक्शन के लिए सहक्रियाशील प्रयासों की गवाही देती है। हम समन्वित पहलों के माध्यम से और स्थायी प्रथाओं में प्रशिक्षित सेना कर्मियों के एक संसाधन पूल के निर्माण के माध्यम से एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट मॉडल प्रदर्शित करने के लिए तत्पर हैं।
विश्व का एक प्रदर्शनीय मॉडल के रूप में होगा स्थापित
उन्होंने बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) झांसी ने आर्मी स्टेशनों को कार्बन-न्यूट्रल कैंपस में बदलने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एमओयू पृथ्वी दिवस 2023 के संकल्प और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के दृष्टिकोण में योगदान करने के विचार को फलीभूत करता है। एमओयू का उद्देश्य कार्बन न्यूट्रैलिटी प्राप्त करने के वास्तविक दुनिया के उदाहरण के माध्यम से एक प्रदर्शनी मॉडल स्थापित करना है।
यह समझौता कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई) और आईआईटी के पूर्व छात्र कर्नल अखिल सिंह चांडक एवं एमईएस झांसी के गैरिसन इंजीनियर मेजर सनी अत्री तथा आईआईटी कानपुर अनुसंधान एवं विकास केे विभागाध्यक्ष प्रो. ए.आर. हरीश, सतत ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. आशीष गर्ग, प्रो. राजीव जिंदल और प्रो. आकाश सी. राय की उपस्थिति में आईआईटी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।