जो शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधार सके, वो वित्त विहीन शिक्षकों का हित क्या करेंगे : सुरेश त्रिपाठी

जो शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधार सके, वो वित्त विहीन शिक्षकों का हित क्या करेंगे : सुरेश त्रिपाठी

झांसी,13 जनवरी । प्रयागराज-झांसी खंड शिक्षक निर्वाचन की सरगर्मियां अब जोरों पर हैं। भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी के पुरानी पेंशन मुद्दे को हल्के में लेने पर अब तक जीत की हैट्रिक लगा चुके माध्यमिक शिक्षक संघ के उम्मीदवार सुरेश त्रिपाठी का आक्रोश फट पड़ा।

लगातार 18 वर्षों से तीन बार शिक्षक एमएलसी रहे सुरेश त्रिपाठी ने शिक्षकों की दुर्दशा का जिम्मेदार सरकार को ठहराया। उन्होंने भाजपा सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि जो अपने विद्या मंदिरों के शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधार सकते,वित्तविहीन शिक्षकों का हित क्या करेंगे ? सुरेश त्रिपाठी भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर बाबूलाल तिवारी के पुरानी पेंशन का जबरन मुद्दा बनाए जाने के बयान पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि 2005 में जब पेंशन को खत्म किया गया तब केंद्र में बीजेपी व राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस प्रस्ताव को किसी सदन में पास नहीं कराया गया बल्कि राज्यपाल के द्वारा इसे सीधा लागू कर दिया गया। विकल्प तक नहीं पूछा गया। जब सदन में यह बात आई ही नहीं तो फिर रोकने की बात क्या करते ? हम केवल 10 लोग थे। आज पूरे भारत में कर्मचारी शिक्षक पेंशन के लिए आंदोलित हैं। पांच राज्य पेंशन देने लगे और जिस राज्य में भी किसी दल ने इस का आश्वासन दिया वहां उनकी सरकार बन गई।

उन्होंने कहा कि सरकार के सामने अंशदान के मामले में कई बार प्रश्न कर चुके हैं कि जो 10 प्रतिशत अंशदान हम से लिया जाता है और 14 प्रतिशत अंशदान स्वयं सरकार दे रही है। वह 24 प्रतिशत अंशदान आखिर है कहां और उसी अंशदान से एक कर्मचारी की पेंशन की व्यवस्था आराम से की जा सकती है। लेकिन आज तक अंशदान के एकत्रित हुए धन का भी दर्शन नहीं हुआ। रेलवे कर्मचारी से लेकर हर विभाग का कर्मचारी आंदोलन का मन बना रहा है। एक दिन विस्फोट होगा।

उन्होंने पुरानी पेंशन मामले में कहा कि कहा कि एक देश में भला दो विधान कैसे हो सकते है। जब 60 वर्षों तक राष्ट्रहित में कार्य करने वाले शिक्षकों का कोई पेंशन नहीं बनता तो 5 वर्ष वाले विधायक और सांसदों के लिए पेंशन की व्यवस्था क्यों की गई है। उनकी भी पेंशन हटा देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि हर तरह से शिक्षकों की आवाज को रोका जा रहा है।

आज उनकी सरकार है लेकिन वह न भूलें की मतदाता शिक्षक है। यह शिक्षक की आवाज बंद करने के लिए रचा गया षड्यंत्र है। तभी भाजपा ने पहली बार शिक्षक एमएलसी के लिए प्रत्याशी उतारा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो अपने सरस्वती विद्या मंदिर के शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधार सकते वे वित्तविहीन शिक्षकों का क्या हित करेंगे ? उन्होंने बताया कि किस तरह मजदूरों की तरह उनसे काम लिया जाता है।