बेगूसराय, 13 जनवरी । बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर द्वारा रामायण के प्रति दिए गए आपत्तिजनक बयान से हर ओर आक्रोश का माहौल है। इस बयान को लेकर दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब बेगूसराय न्यायालय में भी मामला दर्ज कराया गया है।
सार्वजनिक रूप से दिए गए बयान से आहत अधिवक्ता अमरेन्द्र कुमार अमर ने बेगूसराय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी न्यायालय में आवेदन देकर भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए एवं 153-ए के तहत कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। हिन्दू सनातन पद्धति में अटूट आस्था तथा रामायण, उपनिषद पुराण एवं अन्य धार्मिक ग्रन्थों के प्रति सम्मान रखने वालों की भावना चन्द्रशेखर के बयान से आहत हुई।
नवादा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को चन्द्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस समाज में नफरत फैलाने वाला है। रामचरित मानस समाज को जोड़ने के बजाय तोड़ने वाला ग्रन्थ है। यह दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के विरुद्ध है। बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर रहकर चन्द्रशेखर ने सामाजिक घृणा, विद्वेष तथा विभेद पैदा करने के लिए सनातन संस्कृति के पवित्र ग्रन्थ रामचरित मानस का अपमान किया।
यह ग्रन्थ करोड़ों भारतियों तथा हिन्दुओं के आस्था का ग्रन्थ है। इससे अनावश्यक तनाव तथा सामाजिक विद्वेष पैदा हो रहा है। शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर ने जानबुझ कर जातीय उन्माद तथा सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए अपराधिक कृत्य किया है। उसने समाज में जातीय तथा धार्मिक घृणा फैलाकर अपने तथा अपने दल के लिए इस तरह का तथ्यहीन बयान दिया है।