पाकिस्तानी सेना बलूच नागरिकों पर कर रही क्रूरता, एक साल में 195 की मौत

इस्लामाबाद, 13 जनवरी । पाकिस्तानी सेना पर बलूचिस्तान के नागरिकों पर क्रूरता के साथ हत्या के आरोप लग रहे हैं। जिसके तहत 2022 बलूच नागरिकों के खिलाफ झूठे मामले में सजा के साथ हिंसा, हत्या और नरसंहार के आरोप लगे हैं। यह खुलासा बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार संगठन पाक द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 बलूचिस्तान के नागरिकों के लिए बेहद भयानक रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार पूरे साल सिंध और बलूचिस्तान इलाकों में पाकिस्तानी सेना के आंतकवाद रोधी विभाग और सीमा पर तैनात बलों ने बच्चों और महिलाओं सहित सैकड़ों बलूच लोगों को जबरन गुमशुदा किया, सामूहिक रूप से दंडित किया, फर्जी मुठभेड़ों में मारा और विभिन्न क्षेत्रों में यातनाएं दी हैं। पाकिस्तान की सेना ने बलूचिस्तान में 629 लोगों को जबरन गुमशुदा किया, गैर-कानूनी रूप से 195 लोगों को मारा और 187 लोगों को प्रताड़ित किया।

रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान में बलूच राष्ट्र आंदोलन की हिमायती सभी पार्टियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है और केवल पाकिस्तानी सेना की समर्थक पार्टियों को ही राजनीति में भाग लेने की आजादी है। राष्ट्रवादी पार्टियों पर प्रतिबंध के चलते बलूचिस्तान में एक राजनीतिक खालीपन पैदा हो गया है, जिसे पाकिस्तानी सेना अपने समर्थक पार्टियों से भरना चाहती है। बलूच परिवार कई सालों से अपनों की बरामदगी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और परिवारों के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन पाकिस्तान की शक्तिहीन सरकार अपने वादों को पूरा करने और कानून लागू करने में विफल रही है। इस वजह से सरकार और परिवारों के बीच बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकल रहा है और बलूचिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। इस बीच, बलूचिस्तान सरकार लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए एक नया आयोग बनाने जा रही है। यदि इस आयोग का गठन किया जाता है, तो यह बलूचिस्तान में लापता लोगों को खोजने के लिए तीसरी सरकारी संस्था होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच आयोग और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गठित आयोग पहले से ही इस मामले को देख रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को विभिन्न आयोगों और समितियों के गठन करने के बजाय जबरन गुमशुदगी के लिए जिम्मेदार सरकारी लोगों को दंडित करने के प्रयास करने चाहिए।