बीकानेर, 5 अक्टूबर । राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के बीकानेर परिसर पर वैज्ञानिकों द्वारा भ्रूण प्रत्यर्पण तकनीक एवं हिमीकृत वीर्य का प्रयोग करते हुए भारत में पहली बार घोड़ी के बच्चे का जन्म हुआ है, वैज्ञानिकों ने इसका नाम हिमीकृत वीर्य से उत्पन्न होने के कारण राज-हिमानी रखा है।
इस कार्य में केंद्र के वैज्ञानिकों ने भ्रूण उत्पादन के लिए एक नर अश्व के हिमीकृत वीर्य को कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपयोग में लिया एवं भ्रूण को औवुलेसन के पश्चात सेरोगेट घोड़ी में स्थानान्तरित किया। गुरुवार तड़के उस घोड़ी ने एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का जन्म के समय वजन 35 किलो था। इस तकनीक से आम अश्व पालक को लाभ होगा एवं उच्च गुणवत्ता के अश्वों को पैदा करने में मदद मिलेगी। यह कार्य राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत स्वीकृत परियोजना में किया गया जिसके प्रधान अन्वेषक डॉ. टी आर.तालुरी हैं एवं इस कार्य को करने में केंद्र के डॉ. यशपाल, डॉ. आर.ए. लेघा, डॉ. रमेश देदर, डॉ एस सी मेहता, डॉ जितन्द्र सिंह एवं डॉ सज्जन कुमार का सहयोग रहा। इस टीम ने आज तक 18 मारवाड़ी घोड़ियों का भ्रूण विट्रीफाई करने में सफलता प्राप्त आर ली है एवं इनसे सफल गर्भधान एवं बच्चा पैदा करने पर अनुसंधान जारी है।
डॉ. एस. सी. मेहता, प्रभागाध्यक्ष ने केंद्र की इस टीम को सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि इस तकनीक से अच्छे घोड़े एवं घोड़ियों की संख्या में वृद्धि करने में सहायता मिलेगी। साथ ही अश्व संरक्षण एवं संवर्धन में भी मदद मिलेगी।