देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का 11वां मंथन शिविर शुरू

झांसी,07 अप्रैल । रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के तत्वावधान में देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का 11वां मंथन शिविर का शुक्रवार को विधिवत शुभारम्भ हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि अध्यक्ष कृषि विज्ञान उन्नति ट्रस्ट (टीएएएस) एवं पूर्व सचिव (डेयर) पूर्व महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् पद्मभूषण डॉ. आरएस परोदा रहे। अध्यक्षता कुलाधिपति डा. पंजाब सिंह भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष डॉ.रामेश्वर सिंह ने की।

कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह ने शिविर के विषय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधीकरण में नवाचार के बारे में बताते हुए कृषि उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य एवं मनुष्य स्वास्थ्य के ऊपर प्रकाश डाला। डाॅ. एसके चौधरी ने जलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों के टिकाऊ समाधान की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी कृषि हितधारकों को नई टेक्नॉलोजी - कृत्रिम बौद्धिकता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि को अपनाने का सुझाव दिया। डा. जेके जेना ने प्राकृतिक संसाधन, जैव विविधता, नदियों का संरक्षण कर सतत् उत्पादन की ओर अग्रसर होने तथा पशुधन, मत्स्य, आदि के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी संबंधित चुनौतियों की बात कही। उपमहानिदेशक, कृषि शिक्षा डा. आर सी अग्रवाल वर्चुअल माध्यम से जुड़कर अपने संबोधन में कृषि शिक्षा में सुधार तथा नई पद्धतियों जैसे डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से शैक्षणिक कार्यक्रम पर विचार दिए। डा. पीएल गौतम ने भारतीय कृषि अनुसंधान एवं विश्वविद्यालय प्रबंधन को और अधिक ऊर्जावान तथा अपने उद्धेश्यों पर केद्रित होने की बात कही। उन्होंने लैंड ग्रांट सिस्टम को अधिक प्रभावी तौर पर कार्य करने की सलाह दी। डा. रामेश्वर सिंह ने मृदा स्वास्थ्य, गुणवत्तायुक्त भोजन एवं पोषण के साथ आर्थिक तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कृषि विकास की बात कही। कुलाधिपति डाॅ. पंजाब सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों का उचित संतुलन बनाते हुए टिकाऊ कृषि उत्पादन पर बल दिया। उन्होंने महत्त्वपूर्ण अनुसंधान के क्षेत्रों की खोज एवं पहचान कर भारतीय कृषि के अगले 30 वर्षों की चुनौतियों एवं समाधान की बात कही। इस दौरान उद्यानिकी विवि, आन्ध्र प्रदेश डा. बाईएसआर द्वारा एससीएसपी परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की।

डा. आरएस परोदा ने वर्ष 2050 के संबंध में कृषि, पशुधन, मत्स्य आदि चुनौतियों से निवारण हेतु एकीकृत कार्य योजना बनाने की बात कही। कृषि में छोटे किसानों, कृषि विविधता, अनुदान, संरक्षण खेती, पारिवारिक पोषण सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर अपनी राय व्यक्त की। प्रथम सत्र के संयोजक निदेशक शोध डा. एआर शर्मा, डा.एसएस सिंह, डा. अनिल कुमार गुप्ता, डा. एसके चतुर्वेदी, डा. वीपीसिंह, डा. बीके वेहरा, डा. एसएस कुशवाह, डा. एमजे डोबरियाल, डा. मुकेश श्रीवास्तव सहित विवि के सभी अधिकारी उपस्थित रहे। संचालन डा. अल्का जैन तथा प्रधान सचिव भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ डा. एनपी डाकसिनकर ने सभी का आभार प्रकट किया।