लखनऊ, 15 फरवरी । भाजपा सरकार के कार्यकाल में दलितों, पिछड़ों के साथ अब ब्राह्मणों का भी उत्पीड़न शुरू हो गया है। यह सरकार खुद को ब्राह्मणों का हितैषी होने का ढोंग रच रही है। कानपुर देहात के मड़ौली गांव की घटना निंदनीय है। घटना को प्रशासन दबाने की कोशिश कर रहा है। यह बातें बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक मनोज पांडेय ने प्रेस वार्ता कर कही।
कानपुर देहात में मां-बेटी की जलकर मौत मामले में सपा के 11 सदस्यीय दल के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने लखनऊ पार्टी मुख्यालय में वार्ता कर कहा कि उप्र में पुलिस लगातार जनता से दुर्व्यवहार कर रही है। कानून में सरकारी जमीन पर घर बनाने वाले की सुनवाई का प्रावधान है। फिर कहां से चल रहे हैं ये बुलडोजर?
श्री पांडेय ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर निशाना साधते हुए कहा कि फोन और समाचार पत्रों में संवेदना व्यक्त करने से कुछ नहीं होगा। सरकार पीड़ित परिवार के परिजनों को पांच-पांच करोड़ रुपये और दो नौकरियां दें। कानपुर देहात की जिलाधिकारी और क्षेत्र के तहसीलदार के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग श्री पांडेय ने की। उन्होंने कहा कि कानपुर देहात की जिलाधिकारी पर कब कार्रवाई होगी।
मनोज पांडेय ने कहा कि आखिर क्यों विधायक अमिताभ बाजपेई को कानपुर देहात जाने से रोका गया। उन्हें घर पर नजरबंद किया गया। आखिर सरकार के इशारे पर हमें और हमारे विधायक को पीड़ित परिवार से मिलने से क्यों रोका गया। सरकार को किस बात का डर है? वार्ता के दौरान अमिताभ बाजपेई समेत कई पार्टी नेतागण मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि कानपुर देहात जनपद के रुरा तहसील में स्थित मड़ौली गांव में बीते सोमवार को अतिक्रमण खाली कराने पहुंचे जिला व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में मां-बेटी की झोपड़ी में जलकर मौत हो गई थी। इस घटना में जिला व पुलिस पर गंभीर आरोप को देखते हुए तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो, रुरा थाना प्रभारी समेत 39 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। मामले में एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह ने पुलिस टीम गठित कर आरोपी लेखपाल और जेसीबी चालक को गिरफ्तार कर लिया। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पीड़ित परिजनों से बातचीत के बाद शवों को पोस्टमार्टम भेजा जा सका। पैनल पोस्टमार्टम के बाद बुधवार को दोनों शवों का कानपुर के बिठूर घाट पर अंतिम संस्कार किया जा सका है।
इस मामले में पीड़ित को जमीन का पट्टा, नौकरी और मुआवजे का आश्वासन दिया गया है। साथ ही आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग की गई है। घटना के बाद से ग्रामीणों में जिला व पुलिस प्रशासन की कार्यशैली को लेकर आक्रोश व्याप्त है। फिलहाल स्थिति सामान्य बनी हुई है और गांव में सुरक्षा बल तैनात है।